जिंदगी के रुप
जिंदगी के रुप
जिंदगी..
के अलग-अलग मायने हैं
अलग रुप है
इस ज़िदगी के
भूखे के लिये
रोटी है जिंदगी
बेघर के लिये
एक घर है जिंदगी
शायर का ख़्वाब
है जिंदगी
लेखक के लिये
उसका शब्दकोश
है जिंदगी
आलोचक के लेख का
शीर्षक है जिंदगी
कवि के कविता का
सार है जिंदगी
मां के लिये
संतान है जिंदगी
बेरजगारों के लिये
रोजगार है जिंदगी
महबूब का प्यार
है जिंदगी
मरते के लिये
एक सांस की
दरकार है जिंदगी
किसान के लिये
उसका खेत,और
वर्षा की फूुुहार
उसकी जिंदगी
अर्थ यह है
सबका सार है जिंदगी
बिना इसके
निराधार है जिंदगी