जीवन की परिभाषा
जीवन की परिभाषा
ज़िन्दगी एक सहेली है,
कभी सुलझी तो कभी पहेली है।
कुछ खट्टा - मीठा स्वाद है इसमें,
कभी आँसू तो कभी अठखेली है।
कभी सहेली तो कभी पहेली है...
माँ की ममता, पिता की छाया,
दोनों का अद्भुत संगम है।
कभी-कभी लगता है मानो,
समझ की बातें दुर्गम हैं।
सुबह सवेरे किरणों संग आकर,
तम के डर को भगाती है।
फिर निशा के साथ गगन में,
तारे टिम-टिम चमकाती है।
चिड़ियों का चीं-चीं कलरव जब,
जीवन में सरगम भरता है।
अंतर्मन के सारे भय को,
झट से छू-मंतर करता है।
दिन के बाद रात, रात के बाद दिन
सुख के बाद दुःख, दुःख के बाद सुख
बस इनसे ही जीवन की परिभाषा है।
हँसते-हँसते सबसे मिलकर रहना
बस यही हमारी आशा है।
बस यही हमारी आशा है...