जीवन की मंजिल
जीवन की मंजिल
कट
जाता
है
एकएक
पल
एकएक
मिनट
एकएक
घंटा
एकएक
दिन
एकएक
सप्ताह
एकएक
मंथ
एकएक
साल
एकएक
युग
चाहे
जैसे
भी
कटता
है
लेकिन
घटती
जाती
है
उसी
हिसाब
से
यह
जिंदगी
न
रुकती
है
न
थकती
है
यूं
हीं
निरंतर
चलती
है
और
तबतक
चलती
है
जबतक
मृत्यु
की
मंजिल
को
पा
नहीं
जाती
है