जीवन धारा
जीवन धारा
जीवन धारा बहती जाती
कही न रुकती चलती जाती।
शाम सवेरे, हर पल, हर क्षण
नये - नये लोगों से मिलाती।
कभी हँसाती, कभी रुलाती
लेकिन कहीं नहीं रुक जाती।
जीवन धारा बहती जाती
कहीं न रुकती, चलती जाती।
कभी महफिल मेंं लेे जाती
कभी अकेला क्षण दे जाती।
सुख - दुख का हर स्वाद चखाती
अपने परायों का भान कराती।
जीवन धारा बहती जाती
कहीं न रुकती चलती जाती।
