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Anushree Srivastava

Abstract

4.5  

Anushree Srivastava

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जीवन और संघर्ष

जीवन और संघर्ष

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जीवन ही जंग है, 

जीवन संघर्ष है...

आँसू और मुस्कराहट साथ लेकर चलने की जद्दोजहद है. 

ये जीवन ही तो साथी है, 

यहाँ कहां कोई जीवन का साथी है ?

जीवन मुश्किलों का दौर है, 

यही सारा किस्सा, यही मेरी कहानी है...

मेरे खाली आँगन में एक रोज सवेरा हुआ,  

जीवन की सूनी राह में साथी का सहारा हुआ.

खुशियों का शुरू दौर हुआ और फिर जल्द ही बंजर भी हुआ...

अब फिर से जीवन-जंग जारी हैं, 

अपनों से, बेगानो से 

खुद से और ज़माने से...

सिलसिला यूँ ही चलता रहा, 

कभी धूप तो कभी छांव मिलता रहा.

फिर एक दिन...

बदला मंज़र, बदला दौर,

बँधी नव-जीवन की डोर.

खिला रोम,

उपजने लगा प्रेम बहार. 

बदली तब जीवन की परिभाषा,

होने लगी जीने की अभिलाषा.

अब तो जीवन गुलजार है,

पिया संग आयी प्रेम की बहार है.



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