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Mahavir Uttranchali

Abstract

5.0  

Mahavir Uttranchali

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हौसला रख ऐ बशर

हौसला रख ऐ बशर

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हौसला रख ऐ बशर तू, हार मत स्वीकार कर

हर कदम पर मुश्किलें हैं, मुश्किलों को पार कर

वीर बनके बढ़ता चल तू, इम्तिहाँ कितने ही हों

मुश्किलों से लड़ता चल तू, इम्तिहाँ कितने ही हों


हों भले दुश्वारियाँ पर, टूटना जाने नहीं

टूटकर भी अंत तक जो, हार ना माने कहीं

उसके क़दमों पर झुकेगा, आस्मां भी एक दिन

मुस्कुराकर जिसने हरदम, दिक्कतें सारी सहीं

वीर बनके बढ़ता चल तू


रात के सीने में चमका, एक जुगनू तो दिखा

रौशनी हो जाएगी, तू एक दीपक तो जला

आज हँसते हैं जो तुझपर, कल वो तुझको मानेगे

सामने मंज़िल भी होगी, एक कदम आगे बढ़ा

वीर बनके बढ़ता चल तू


हो कोई मैदान लेकिन, तू न पग पीछे हटा

पहले तू नज़रों में अपनी, खुद को ही ऊँचा उठा

आत्मबल है पास तेरे, उसको तू पहचान ले

हर चुनौती देगी तुझको जीतने का हौसला

वीर बनके बढ़ता चल तू


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