गीत__________________________
गीत__________________________


जी चाहता है कि फिर तुम्हारे बारे में लिखूं,
तुम्हारे बारे में बातें करूं,
और तुम्हारे क़सीदे पढूं,
फिर यही सब दोहराता फिरुं।
आजकल खुद से तुम्हारी बाते करता हूं
बाते इतनी अंतरंग हो जाती हैं कि -
नग़मे बन जाती हैं
उनमें सुर आ जाता है
और दिल उन्हें गाने लगता है
ऐसी धुन तो कभी नहीं सुनी,
ये कैसा राग है जिसमें मन मचलता है
और सांसे बहकती है!
भला ये कौन सा राग है!
तुम नहीं तो कौन बताएगा? क्योंकि-
ये गीत भी तुम्हारा है और
गीतकार भी!