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रोशनी की टोह भी मुझ तक न पहुंचेगी रोशनी की टोह भी मुझ तक न पहुंचेगी
बड़े दिन गुज़र गए आपसे बात न हुई, बड़े दिन गुज़र गए के दिन को रात न हुई, बड़े दिन गुज़र गए आपसे बात न हुई, बड़े दिन गुज़र गए के दिन को रात न हुई,
ये कैसा राग है जिसमें मन मचलता है और सांसे बहकती है! ये कैसा राग है जिसमें मन मचलता है और सांसे बहकती है!