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alphaz mere

Abstract

4.5  

alphaz mere

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ek shaks

ek shaks

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वो अपने अंदर इतना

कुछ छुपाए रखते हैं

जब भी दोस्तों से मिला करते हैं.


ग़म को किनारा कर चेहरे पे

बस मुस्कान बनाए रखते हैं,

अरे देखो ना यार इन्हें ये

कितना कुछ छुपाए रखते हैं


लोगों ने खुशियां बांट

अपने आंखों में आंसू सजाए रखते हैं

अरे देखो ना यार वो अपने अंदर

कितना कुछ छुपाए रखते हैं,


अपनों से कोई उम्मीद नहीं है उन्हें

बस अपने ज़िन्दगी की कहानियां 

अजनबी बन लोगों को बताया करते हैं,


देखो ना यार वो अपने अपनों से भी

कितना कुछ छुपाए रखते हैं।


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