एक आरजू देश के लिए
एक आरजू देश के लिए
ये तिरंगा जो आज हमने शांति से लहराया है,
हमें ये मौका देने के लिए दूर कही किसी मा ने
अपना बेटा गवाया है।
जब भी तिरंगा देखो उससे सलाम जरूर करो,
उसकी शान के लिए कही किसी फौजी ने
अपना रखत बहाया है।
इस देश की रक्षा करने में वोह जो मशरूफ है,
उसकी शान में मेरे पास ना कोई शब्द ना ही
कोई अल्फ़ाज़ है,
उसके त्याग का केसे करू शुक्रिया,
जिसने कारण हम आज इस जश्न - ए -
आज़ादी मै मशरूफ है।आओ मिलकर
अपने शहीदों को सलाम करते हैं,
आओ मिलकर उनके बहाए खून का हिसाब लेते है,
आओ मिलकर उन कायर कातिलो को मुँह तोड़
जवाब देते हैं।
ये कैसी आज़ादी है, हर तरफ बर्बादी है,
कही दंगे तो कही फसाद है,
कही जात पात तो कही,
छुवा छूत की बीमारी है|
हर जगह नफरत ही नफरत,
तो कही दहशत के अंगारे है,
क्या नेता क्या वर्दी वाले,
सभी इसके भागीदारी है...
हम तो आज़ाद हुए लड़कर पर
आज़ादी के बाद भी लड़ रहे है
पहले अंग्रेजो से लड़े थे
अब अपनों से लड़ रहे है
आज़ादी से पहले कितने
ख्वाब आँखों में संजो रखे थे
अब आजादी के बाद वो
ख्वाब, ख्वाब ही रह गए है
अब तो अंग्रेज़ी राज और
इस राज में फर्क न लगे
पहले की वह बद स्थिति
अब बदतर हो गई है।