दो काले नैना
दो काले नैना
मेरे दो गहरे काले नैना,
दरिया से बहते नैना,
एक बांध बनाया इन पर
हर बांध तोड़ते नैना।
खत्म हुई इच्छाएं,
मिट गई सब दुविधाएं,
जीने की तमन्ना को मेरी
समझ कांच तोड़ते नैना।
उलझी पगली रिश्तों में
प्यार न मिला किश्तों में,
दिल के सारे नातों को
जैसे आज तोड़ते नैना।
क्या दिखलाऊँ किसको
यहाँ कौन है देखने वाला,
इन व्यस्त लोगों से मेरा,
जैसे साथ तोड़ते नैना।
न करनी अब दोस्ती,
न मेलजोल बढ़ाना किसी से,
होगा प्यार किसी से,
ये आस तोड़ते नैना।