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Poonam Verma

Inspirational

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Poonam Verma

Inspirational

देश को धर्म का सहारा, उसी धर्म को तुमने धिक्कारा ।

देश को धर्म का सहारा, उसी धर्म को तुमने धिक्कारा ।

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भारतवर्ष के भूमि में, जब लगा तुम्हारा मन।

देश भक्त कहते हो जो तुम, गाते हो जन गण मन।

कर्म बिना क्या पुण्य तुम्हारा, पाप पर करो विचारा।

धर्म बिना क्या संस्कृति रही है? जिसे गाते हो तुम?

कठिन है जो कार्य तुम्हारा, असत्य बोल कठिनाई

को संहारा।

देशभक्त का नारा लगाया, तत्पश्चात इतिहास में

फिरंगियों व मुगलों के बारे में पढ़वाया? 

नेल्सन मंडेला आदि इत्यादि ,

बाहर के चाहे हो आदिवासी। 

या चाहे हो धरती तुम्हारी,

विदेशों में न घूमने जाना भी है तुम पर भारी?


चार गुण सिखाए जो हिंदू धर्म,

करते हो धर्म के विरूद्ध वाला ही कर्म?

ईश्वर एक है, रूप अनेक हैं ।

धर्म एक है, स्रोत अनेक हैं।

मनुष्य करे धर्म रचयति,

मनुष्य न करे ईश्वर रचयति।

पाप-पुण्य के काल में जो,

भुलाया है तुमने इन लोगों को।

अकबर, नेल्सन याद है तुम को।

राम, सीता, लक्ष्मण, सावित्री , लक्ष्मीबाई

आदि क्या याद है तुम को?

कौन है यह कर्म तुम्हारा ,

ना छोड़े तुम्हें किसी के सहारा ?


देश-धर्म के स्थापना हेतु,

कितने अनगिनत युद्ध छिड़े।

कितने धर्मी-अधर्मी वीर भिड़े । 

वीर गति को प्राप्त हुए धर्मी,

पीछे मुड़े तो यह देखने के लिए?

देश को यह धिक्कार तुम्हारा,

देश-प्रेम को ना तुमने स्वीकारा।

बचेगा तब क्या पास तुम्हारे?

प्रायश्चित के अतिरिक्त कोई चारा।

उपयुक्त जीवन के निर्वाह में तुमने,

रोक लगाई युगों-युगों से।

प्रश्न अंत में ठाठ से टिका हुआ है,

उत्तर के बिना संपूर्ण तो नहीं। 

पर सत्य के समान प्रश्न के उत्तर ना मिलने के भय से,

उपयुक्त सही प्रश्न कभी मिटते नहीं। 

डाकू से बने ऋषि वाल्मीकि के स्थान पर,

पापी से महापापी बन चले हो ,

यहाँ अभी तक खड़े हो?


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