देश भक्ति - आजादी
देश भक्ति - आजादी


मुझे तन चाहिए, ना धन चाहिए,
बस अमन से भरा ये वतन चाहिए,
जब तक जिंदा हूं इस मातृभूमि के लिए,
और जब मरू तो तिरंगा कफ़न चाहिए।
कोई रुप नहीं बदलेगा सत्ता के सिंहासन का
कोई अर्थ नही निकलेगा बार- बार निर्वाचन का
एक बड़ा खूनी परिवर्तन होना बहुत जरूरी हैं
अब तो भूखे पेटों का बागी होना मजबूरी हैं
जब कपड़े का आकार आपके संस्कारों
और चरित्र का परिणाप बन जाए
जब किसी लड़के का लड़की से या
किसी लड़की का किसी लड़के से
खुल कर बात करना, हँसी मजा़क करना,
दिल की दर्द सुनना या सुनाना
और अपास मे गले लग जाना लोग सहन ना कर पाए
वो होती है पराधीनता ।
हम एक दूसरे का हाथ थाम कर चलें
और हमारे मन में सिर्फ प्रेम हो
न कि किसी चीज़ का डर
वो है आज़ादी।