डर लगता है माँ
डर लगता है माँ
माँ मैं एक नन्ही सी गुड़िया
घर आँगन सबका महकाऊँँ
हर एक तुम्हारी आशा को
पल भर में मैं पूरी कर जाऊँँ
दे तुम अपनी आँचल मुझे माँ
हर एक खुशी मैं रोज बिछाऊँ
बनकर नन्ही गुड़िया तुम्हारी
सीने से माँ मैं तेरी लग जाऊँ
जब भी मैं बड़ी हो जाऊँंगी
पढ़ लिखकर नाम कमाऊँंगी
बेटा की तरह तुम रखना मुझे
जब मैं दुल्हन बनकर आऊँँगी
पास रखना अपनी मुझे माँ
डर लगती है त्यागी न बन जाऊँं
जैसे सीता माता ने दी थी परीक्षा
मैं भी दूसरी सीता न बन जाऊँं।
