चिंतन.........
चिंतन.........
हर रोज सुबह, शाम, दोपहर,
दस्तक देती, मेरी परेशानियां,
एक अजनबी दोस्ती की तरह
की उदासियों से कोई पहचान,
फिर बुलाता हूँ,
फिर सुनाता हूँ, कोयल की तान,
आज हाशिए पर मेरी जिंदगी
नाप लेता हूँ, मुस्कुरा कर
सफर की तरह,
हर रोज, चल रहा हूँ ,
मंजिल मिले ना मिले मगर।
कवि-निशान्त सोनी
