चेहरा
चेहरा


चेहरे पे चेहरा है
परत दर परत बस चेहरा है
छल है, कपट है
मगर इसमें भी छुपा एक चेहरा है
गुस्से की आड़ में
मासुमियत छुपाता भोला सा चेहरा है
हँसता है, मुस्कराता है
सबको लुभाता ये चेहरा है
मुसकराहट के रूमाल से
आँसुओं को पोंछता ये चेहरा है
सीखो तुम पढ़ना चेहरे को
लफ्ज़ों की अहमियत
जो कम कर दे वो ये चेहरा है
कभी मिल के खो गया
कभी खो के भी मिल गया
बस यही अनजान सा
मगर जाना पहचाना चेहरा है
कभी खूबसूरत
कभी बदसूरत
हाँ मगर एक ही वो चेहरा है।