बस मौत मिले गद्दारों को
बस मौत मिले गद्दारों को
रनभेरी बजने से पहले
तुम ढूँढ रिपू के यारों को
हे भारत के वीर पुत्र
श्रृंगार चढ़ा हथियारों को
रहे न ये इंसाफ अधूरा
हो जाये बाकि भी पूरा
तिरंगा मिले शहीदों को तो,
अब मौत मिले गद्दारों को,
बस मौत मिले गद्दारों को।
जो जंग लगी बंदूके हैं
बाहर उन्हें निकालो तुम
तुम राजपूताना के गौरव
म्यान से तलवार निकालो तुम
तुम याद करो दशमेश गुरू
गोविंद सिंह की बलिदानी को
बच्चे चिनवा गए थे जिनके
और अपनी भी कुर्बानी दी।
वीरों की इस पावन वसुधा पर
सुभाष, भगत ,आजाद दीवाने थे
विस्मिल, असफाक खुदीराम जैसे
कितने,आजादी के परवाने थे।
पर,
कुछ थे कुंठा से ग्रसित लोग
जो माँ को खंडित कर डाले
अंखड भारत की तस्वीर के संग
तकदीर भी उसकी बदल डाले।
गर मुमकीन है तो ये कर डालो
भारत का भूगोल बदल डालो
सिन्धु हिन्दू की परिभाषा
सिन्घु की धार बदल डालो।
वीरांगना हो तो बनो "छबीली"
वीर "बाजीराव" सम काल बनो
हे भारत के पहरेदारों तुम
मातृभूमि की ढाल बनो।
छीन रहे हैं अमन- चैन जो
गोली मारो *सहरयारों को
तिरंगा मिले शहीदों को तो
अब मौत मिले गद्दारों को
बस मौत मिले गद्दारों को।