बलात्कार
बलात्कार
मां मुझे गिराया गया
मेरे कपड़ों को फाड़ा गया
मेरा मुंह दबाया गया
फिर मेरे जिस्म को नोचा गया
मैं चीख थी रही
मैं चिल्लाती रही
उनमें ना तरस था
ना हया थी
मैं उनसे रहम की भीख
मांगती रही
पता नहीं कौन सी मिट्टी के
बने थे वो दरिंदे
मेरी चीखों से
चह चाह रहे थे परिंदे
बारी बारी सबसे मुझे नोचा गया
अपनी हवस का मुझे शिकार बनाया गया
मां मैं जब चीखने लगी तो
मेरी जुबान ही काट डाली
जिससे मैं चिल्ला ना सकूँ
मेरी हड्डी ही तोड़ डाली
जब उनका मन भर गया
फिर मुझे जंगल मैं फेंका गया
मां मेरे मारने के बाद
मुझे आधी रात को जलाया गया
इस तरह मेरी कहानी को मिटाया गया
वो दरिंदे बड़ी जाती के थे
मुझे छोटी जाती का बताया गया