बिगड़ी लड़की
बिगड़ी लड़की


मर्यादाओं में बँधी झील नहीं ,
अपना पथ आप बनाने वाली नदी बन तू।
हवाओं से बुझने वाला चिराग नहीं ,
बादलों को चिर रोशनी बिखेरने वाली चांदनी बन तू।
अपने अस्तित्व के लिए लड़ती कली नहीं ,
पुष्प को रक्षा कवच प्रदान करने वाला कंटक बन तू।
निद्रा के साथ समाप्त होने वाला स्वपन नहीं ,
भोर की पहली किरण के साथ जनमने वाली उम्मीद बन तू।
आँख में जिसके पानी हो वह अबला नहीं ,
हर मुसीबत का डटकर सामना करने वाली बला बन तू।
सजावट में चार चाँद लगाने वाला कंगूरा नहीं ,
इमारत को मजबूती प्रदान करने वाली नींव बन तू।
सब की हाँ में हाँ मिलाने वाली अच्छी लड़की नहीं ,
अपने दिल एवं दिमाग की सुनने वाली बिगड़ी लड़की बन तू।