बेटी से
बेटी से
1
-त्रासदी-
हर रोज़ कुछ न कुछ घटता जाता है
हम उम्मीदें पालने की हिमाक़त करते हैं
यही हिमाक़त हमारी ताक़त है
हर रात रुलाती है
हर सुबह देती है एक नया जीवन
एक नई आस हमारे आस- पास मंडराने लगती है
हम फिर-फिर होते हैं ख़ुश
हम फिर-फिर हो जाते मायूस।।। ।
2
-बेटी से-
ऐसा नहीं है
कि तुम्हें जेल भेज कर हम खुश हैं
तुम खुद सोचो
कि पापा भी तो कैद हैं
...खुद की बनाई जेल में
कैद हैं मम्मी भी
घर की चारदीवारी में
छोटी बहन भी कहाँ आज़ाद है?
तुम्हें मालूम हो बेटी
मछली कि जेल पानी है
पंछी की जेल हवा
मिट्टी की जेल धरती
चाँद-सूरज की जेल आकाश गंगा
हॉस्टल की ये कैद
मेरी बच्ची
ब्रह्माण्ड के रहस्य समझने में
तुम्हारी मदद करेगी...
3
-काला ताज-
बहुत काला है ये कोयला
कालापन इसकी खूबसूरती है
कोयला यदि गोरा हो जाए तो
पाए न एक भी खरीदार
कोयला जब तक काला है
तभी तक है उसकी कीमत
और जलकर देखो कैसा सुर्ख लाल हो जाता है
इतना लाल! कि आँखें फ़ैल जाए
इतना लाल! कि आंच से रगों में खून और तेज़ी से दौड़ने लगे
इतना लाल! कि जगमगा जाए सारी सृष्टि
मुझे फख्र है कि मैं धरती के गर्भ से
तमाम खतरे उठा कर, निकालता हूँ कोयला
मुझे फख्र है कि मेरी मेहनत से
भागता है अंधियारा संसार का
मुझे फख्र है कि मेरे पसीने कि बूँदें
परावर्तित करती हैं सहस्रों प्रकाश पुंज
खदान से निकला हूँ
चेहरा देख हंसो मत मुझ-पर
ये कालिख नहीं पुती है भाई
ये तो हमारा तिलक है...श्रम-तिलक
कोयला खनिकों का श्रम-तिलक!!!