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Sanjiv Upadhyay`

Drama

5.0  

Sanjiv Upadhyay`

Drama

असमंजस

असमंजस

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जीवन तेरे आयाम बहुत,

कुछ समझ लिया कुछ छूट गया।

कुछ सपने हुए साकार मगर,

कोई सपना पल में टूट गया।।


थे दिल से भी प्यारे जो,

उनसे जीवन भर का घाव मिला।

था दूर जिसे मैं धुप समझ,

उनसे ही मधुमय छाँव मिला।।


जिनके संग होनी कश्ती ले,

मैं निकल पड़ा मझधारों में।

मुझे छोड़ उन्हें जाना था तो,

क्यों हाथ दिए पतवारो में ?


जीवन में साथ मिले उसका,

जिससे ऐसी अभिलाषा थी।

बेबस उसको जाना होगा,

ऐसी तो न मुझको आशा थी।।


हैं अनसुलझे से तथ्य बहुत,

जो कौंध रहे मेरे दिल में।

कोई बाहर करे अंधेरों से,

ला रख दे मुझको महफ़िल में।।


ला दिखा रौशनी मुझको तू,

हो चुकी यहाँ है शाम बहुत,

कुछ समझ लिया कुछ छूट गया,

जीवन तेरे आयाम बहुत।।


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