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Mahavir Uttranchali

Abstract

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Mahavir Uttranchali

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अप्रैल-फूल दोहा एकादशी

अप्रैल-फूल दोहा एकादशी

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हाय! मार्च क्यों कर गया, यूँ जाने की भूल

आया है सरकार फिर, आज अप्रैल-फूल १.


आज अप्रैल-फूल है, खो गया कहाँ मार्च

अँधेरे में मूर्ख दिवस, ढूँढ रहा है टार्च २.


हिन्दी में जो ‘पुष्प’ है, उसका किया अनर्थ

अंग्रेजी में ‘मूर्ख’ है, ‘फूल’ शब्द का अर्थ ३.


पागलखाने जाइये, होगा सबको हर्ष

‘अप्रैल माह’ आगरा, जाओ नूतन वर्ष ४.


मनाओ मूर्ख दिवस यूँ, सुनो लगाकर कान

पागलखाने आपका, खूब रखेंगे ध्यान ५.


पूरा जीवन आपका, मूर्ख करें सम्मान

बाँट रहे अप्रैल में, जी भर के तुम ज्ञान ६.


इस जगत में भरे पड़े, जगह-जगह विद्वान

क्यों मूर्खों के माह में, प्रकट भये श्रीमान ७.


प्रभु का अता-पता नहीं, मूर्खों का है ध्यान

पागलखाने बन रहे, भारत क्या जापान ८.


विद्वानों का देश है, अपना हिन्दुस्तान

‘अप्रैल माह’ आगरा, घूमें तो श्रीमान ९.


जग में मूर्ख अनेक हैं, पग यूँ ही बदनाम

बिन पगड़ी विद्वान का, मूर्खों में है नाम १०.


पागलखाने घूमिये, कुछ भी लगे न दाम

पसन्द हो तो कीजिये, रजिस्टर्ड भी नाम।


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