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chandraprabha kumar

Inspirational

4.7  

chandraprabha kumar

Inspirational

आया शुभ जन्मदिन तुम्हारा

आया शुभ जन्मदिन तुम्हारा

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396


    

 आज तुम्हारा जन्मदिवस बीस मार्च है,

  तुम्हारा अनुराग प्रेम निश्छल स्नेह भाव,

  वाणी की कोमलता, राग- द्वेष का अभाव

  अपनी पसन्द की चीज़ों का मोह - त्याग। 

  

   ये सब गुण हैं जो तुम्हें बनाते हैं विशेष 

   हर किसी के बस की नहीं यह बात है। 

   बचपन में सुबह उठकर मॉं को चाय देना

   अपने स्कूल का टिफ़िन स्वयं तैयार करना। 

 

  अपनी स्वयं की वार्षिक परीक्षा होने पर भी 

  हँसकर भाई लोगों का काम कर देना ,

  पापा भी काम के लिए तुम्हें ही बुलाते

   कितने गुण हैं तुम में कहॉं तक गिनायें। 


   सब धन्य होते हैं तुम्हारा साथ पाकर

   जो जीवन के उच्च शिखरों को छू ले, 

   और आगे बढ़ने की उमंग बनाये रखे

   सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास रखे। 

   

   गृह- व्यवस्था में अनुशासन और स्वच्छता रखी

   साथ ही अपनी कुशलता को दिनोंदिन बढ़ाया,

   ड्राइविंग सीखी .कम्प्यूटर सीखा ,किताब लिखी 

  पुस्तिका देकर बच्चों को कम्प्यूटर सिखाया। 


  दीन जनों पर दया और कुछ करने का उत्साह

  समाज सेवा की अपना अतिरिक्त समय देकर,

   गृह में कार्य करने वाले अशिक्षितों को दी शिक्षा

  उनके लिये अंग्रेज़ी सीखने की पुस्तक लिखकर। 


  बातचीत में उन्हें अंग्रेज़ी बोलना सिखाया 

 और सुविधा के लिये किताब वितरित की। 

  बुराई का बदला भलाई से दिया, खुश रही

 ईश्वर पर और अपने पर अदम्य विश्वास रखा।


अपनी संस्कृति पर गौरव ,बड़ों के प्रति सेवा

सबके प्रति वात्सल्य भाव और शिष्टाचार,

घर में काम करने वालों की सुविधा का ध्यान

एक गूँगी असहाय लड़की को जीविका प्रदान। 


 अपने पास रखा उसे गृहकार्यों के लिये

और सब प्रकार की दीं सुख- सुविधायें उसे,

जीवन तुम्हारा सदा रहा परोपकार के लिये

यथा बहती हैं नदियॉं परोपकार के लिए। 


परोपकार के लिये तरुवर हैं फलते

स्वयं हिम आतप सहते पथिक को छाया देते,

ऐसे ही तुम्हारा शीतल स्वभाव सुख देता

यश प्रसिद्धि से दूर अपना काम करता रहता। 


ये बात नहीं कि जो शिखर पर बैठे हैं वही उच्च हैं ,

मन्दिर शिखर पर बैठने से कौवा गरुड़ नहीं बन जाता,

वह कौवा ही रहता, महानता केवल लोक यश नहीं 

पर महान् व्यक्ति तो यश की परवाह नहीं करते। 


निन्दा प्रशंसा से दूर अपने काम में लगे रहते हैं 

सबसे निस्पृह और सबकी सेवा करते चलते हैं,

तुम्हारा यह आदर्श चरित्र तुमको बनाता जनप्रिय

तुम्हारा सम्पर्क सबको सुकून के पल देता है। 


दिवस बीस मार्च का और भी धन्य बना है,

गौरैया चिड़िया का 'विश्व गौरैया दिवस'है,

गौरैया चिड़िया दिल्ली की राज्य पक्षी है,

'अन्तर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस'भी आज ही है। 


तुम भी सब ओर प्रसन्नता प्रसारित करती हो,

मुझे याद आती है तुम्हारी बचपन की वह छवि

जब तुमको प्रथम बार देखा था नीली फ़्रॉक में,

लगता था जैसे बदली से चॉंद निकल आया हो। 


और तुम मेरे पास ही आकर स्वतःबैठ गईं थीं

जैसे आया हो मृदु मन्द समीर का झोंका सा,

 सहज गौर वर्ण और भोला मुखमण्डल तुम्हारा

सहज ही आकर्षित कर लेता था अपनी और ।


कितने आत्मीय स्नेह भाव से भरी थी तुम,

समय यादों को सहेजे पंख लगाकर उड़ता है , 

समय के साथ और भी निखर आई हो तुम

अपने जन्मदिन पर कविता का यह उपहार लो। 



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