आज और जिंदगी डॉ कनक लता तिवारी
आज और जिंदगी डॉ कनक लता तिवारी
जिंदगी आज ऐसे मोड़ पे ले आई है
सूखे पत्ते, सूखी डालें और तन्हाई है II
सूनी गलियां, सूने रस्ते सूने अफ़साने हैं
आज खामोश है सब गीत जो अब गाने हैं
साज को देती जो आवाज़ वो घबराई है II
ऐ गमे दिल तू न घबरा इन वीरानों से
बीत जायेंगे यूँ ही बातों में दीवानों से
जग जायेगे सोये नगमे सभी ,
जिनपे अब काली घटा छाई है II
बाद मुद्दत के फिर से कलियाँ खिलेंगी
फूल हंस देंगे और ये गलियां सजेंगी
जाग जाएगा वो नया सूरज ,
खिल उठेगी कली ,
शबनम जो मुस्करायी है
फ़ैल जायेंगे उजाले सब और
जिनपे मायूसी की धुंध छायी है
ऐ कनक याद रखना तुम ये सदा
ये तो रहबर तेरी नेमत की ही खुदाई है