आज आपसे कुछ कहना चाहती हूं
आज आपसे कुछ कहना चाहती हूं
बचपन से मैं अपने सपनों को छुपाई हूं
खुद से पहले दूसरों कि खुशियां चाही हूं
खिलौनों के जगह किताबों को सजाई हूं
ज़िम्मेदारी की समझ बचपन से पाई हूं
छोटी सी उम्र में परिवार संभाली हूं
अपनी घर की में बेटी कहलाती हूं
पर आज में कुछ कहना चाहती हूं
अपनी सपनों कि उड़ान भरना चाहती हूं
परिवार संभालूंगी
ज़िम्मेदारी भी निभाऊंगी
कामयाबी की राहों में
अपना नाम बनाऊंगी
लड़की हूं पर कमजोर नहीं
पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन के दिखाऊंगी।
