अरकू घाटी - अतुल्य भारत का एक हिस्सा
अरकू घाटी - अतुल्य भारत का एक हिस्सा
एक मीडिया कॉलेज का स्टूडेंट होते हुए अक्सर मुझ जैसे कई नौनिहालों की इच्छाएं अधूरी ही रह जाती है कि वो अपने खुद के चुने हुए करियर के अनुसार चीज़ों को असल जिंदगी में भी काम में ला सके और कुछ नया अनुभव कर सके।
सच कहूं तो इस मामले में मैं अपने आप को बहुत ही भाग्यशाली महसूस करता हूं कि मेरी शैक्षणिक संस्था ने अपने स्टूडेंट्स की यह इच्छा पूरी करने की कोशिश बहुत ही शिद्दत से की। जी हां, मैं बात कर रहा हूं गाज़ियाबाद में स्थित निस्कॉर्ट मीडिया कॉलेज की।
अभी मई के महीने में कॉलेज ने हम स्टूडेंट्स के लिए एक हफ्ते की एजुकेशनल ट्रिप का आयोजन किया था लेकिन कहां? आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम क्षेत्र में स्थित अरकू घाटी में। छात्रगण को जनजातीय जीवन पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाने का काम सौंपा गया था; यह अवसर हम सभी के लिए बहुत अच्छा था कुछ नया सीखने का, चीज़ों को फैकल्टी के नक्शे कदम पर असल ज़िंदगी में अमल करने का।
अरकू का जनजातीय जीवन वाकई में बेहद मनभावक है। यहां के ज्यादातर लोग खेती बाड़ी और खास तौर पर कॉफी उगाते हैं और धन अर्जित करने का यही मूलभूत साधन मानते हैं। इन प्रक्रियाओं से भी ज्यादा आकर्षित करता है इनका खान पान और रहन सहन। गाँव में इतनी सारी चीज़ें जैसे बिजली, पानी आदि का अभाव होने पर भी यहां के लोग उस कमी को कमी नहीं मानते बल्कि अपने गुजर बसर के लिए ऐसी पौष्टिक चीज़ों का सेवन करते हैं जिनसे उनकी सेहत पर यह आम चीज़ों का अभाव होने पर भी कोई आंच नहीं आती। अपनी हर मुश्किलों का सामना यहां के रहने वाले निवासी एकजुट होकर करते हैं और त्योहारों के अवसर पर रात में एक साथ बॉनफायर के आगे इकट्ठा होकर इनका नृत्य करना देता है अतुल्य भारत के एक छोटे से जनजातीय कस्बे का एक अनूठा परिचय।
