क्या हुआ जो राह मुश्किल है।
क्या हुआ जो राह मुश्किल है।
तू क्यूँ खामोश खड़ा है?
जैसे कोई खाली घड़ा है।
बोल तू अब इन आँखों से
कौन सा ग़म तेरे आगे पड़ा है?
हर इक पल तू मर के जिया है।
जामे ख़ुशी तूने डर के पिया है।
चल अब तू खुल कर जी ले।
रब ने तुझ को माफ़ किया है।।
आँख तेरी बेकार ही नम है।
हर इक ग़म छोटा सा ग़म है।
छोड़ के रोना हंस दे अब तू।
देख ले दुनिया तुझ में दम है।।
सोच ये तेरा आख़री पल है।
ये आज ही तेरा भव्य कल है।
चल कर ले सब सपने पूरे।
तू ही ख़ुद मुश्किल का हल है।।
जारी क्यूँ आँखो से नहर है।
आज तो फिर से नयी सहर है।
भूल जा अब तू बीते क़िस्से।
तेरे अन्दर इक नयी लहर है।।
ये सब वक़्त का कमाल है।
तू जो यूँ ग़म से बेहाल है।
भरोसा रख ख़ुद पर तू।
अभी तुझे मचाना धमाल है।।
क्या हुआ जो राह मुश्किल है।
तेरे अन्दर भी इक मज़बूत दिल है।
पार तो कर इन मुश्किल राहों को।
क़दमों में पड़ी तेरी मन्ज़िल है।।