पितृ छाया
पितृ छाया
यह वो है जिनकी छाँव में बचपन में नए दोस्त बने,
बूढ़ों का इकलौता सहारा है यह,
यह वो है जिसकी छाँव में बड़ी बड़ी समस्याओं का
हल निकला,
राधाकृष्ण की रासलीला का प्रतीक है यह,
यह वो है जिसने सर्दी, गर्मी, धूप में पंछियों को
आश्रय दिया,
यह वो भी है जिसने मंज़िल की तलाश में
चलते हुए राहगीर
को एक नई उम्मीद दी।
कुछ लोगों के लिए ये सुंदरता का प्रतीक है,
तो कुछ लोगों के लिए फलदाता।
कुछ लोग इसे गप्पें लड़ाने का कट्टा कहते हैं,
तो कुछ लोग छिप्पन छिपाई की जगह।
कुछ लोगों के लिए ये घर है तो कुछ लोगों के
लिए आविष्कार।
आम भाषा में ना इसे पेड़ कहते हैं।
और हम जैसे आम आदमी इसी को
अपना जीवन कहते हैं।