धूप सी खिली ज़िन्दगी
धूप सी खिली ज़िन्दगी
धूप सी खिली ज़िन्दगी, छाँव सी मखमली ज़िन्दगी
इसके है कितने ही फ़साने, कुछ मैं जानूँ कुछ अनजाने।
अरे इन रास्तों पे चलते चलते मैं खो जाती हूँ
नींद आए या न आए मैं सो जाती हूँ।
यारो कभी गम मत करना, जीवन अपना कम मत करना
किस्मत है मौके के झोंके, इन झोंके में डूब के जैसे
सागर की लहरों पे मैं खो जाती हूँ
नींद आए या न आए मैं सो जाती हूँ।
प्यार की शाम, प्यार के नाम, बंद है ऑफिस बंद है काम
प्यार की मस्ती, प्यार की सख्ती, दोनों में है हालत खस्ती।
प्यार की इन गलियों में मैं खो जाती हूँ
नींद आए या न आए मैं सो जाती हूँ।
हाथ बढ़ा के आँख मिला के, थाम लो उसको जो दिल में झाँके
दिल के है कितने ही दीवाने, दिल की बातें दिल ही जाने
दिल की इन बातों में मैं खो जाती हूँ
नींद आए या न आए मैं सो जाती हूँ।
धूप सी खिली ज़िन्दगी, छाँव सी मखमली ज़िन्दगी
इसके है कितने ही फ़साने, कुछ मैं जानूँ कुछ अनजाने
अरे इन रास्तों पे चलते चलते मैं खो जाती हूँ
नींद आए या न आए मैं सो जाती हूँ।।