पेँसिल और रबर
पेँसिल और रबर
पेंसिल के बनावट, रंग और रूप है अनेक,
पर इन सबके दुनिया में काम है सिर्फ एक।
बडा गुरूर है उसे अपनी इस बनावट पर,
बडी तेज चलती हैं कागज के लिखावट पर।
दुनिया का दस्तूर हैं गुरूर टूटना जरूरी है,
खुद की गलतियाँ न मिटा सके मजबूरी है।
बस उदास होकर खुद को कोस रही थी,
और कोई मिटा दे गलतियां सोच रही थी।
रबड़ ने देखा जब गलतियाँ है अनायास,
कहा न करो चिंता मैं तो हूँ तुम्हारे पास।
तुम्हारा काम है निशान कागज पर छोडना,
पेन्सिल थी उदास कहा अब हैं मुख मोड़ना।
मुझे तो बस दूसरे के हाथों में सौंप दिया ,
जब चाहे मेरी सुंदरता को चाकू से छोल दिया।
अरे पगली तुझसे जुड़ा एक और किस्सा है,
तेरी सुंदरता ऊपर नहीं अंदर का हिस्सा है।
भले ही तुझे लोग चाकू से छोल देते हैं,
पर तेरी नोक वो बाजारों में मोल लेते हैं।
तू तो हाथों में आते मन की बात बताती हैं,
फिर क्यों तुझे बेवजह की बातें सताती है।
तुम्हारी बातें ठिक है पर तुम्हें आना पड़ता हैं,
गलतियाँ मै करू और तुम्हें मिटाना पड़ता हैं।
पेन्सिल तो बनी हुई है सब जताने के लिए,
मै रबड़ हूँ बना गलतियाँ मिटाने के लिए।
मुझे कोई गम नहीं मैं कर्तव्य निभाता हूँ,
चल मै अब दूसरी गलतियाँ मिटाने जाता हूँ।
तू महान विचारों को व्यक्त कर और दे ज्ञान,
मैं मिटाता रहूँगा गलतियाँ जब तक हैं जान।