दीदार तेरा
दीदार तेरा
हाल ए दिल,
दिल ही में छुपाना ठीक नहीं
इतने नकारा हैं हम के
इन परदों के पिछे
छुपे इन लफ्जों को
सुलझा न पायें
चाहतें ना बतलाओ उलझे मन की
एक साँस में जान लेते हैं हम
नज़ाकत तन की,
हमें इतने भी नापक ना समझा करो
तेरी जिस्म से गुजरती हर साँस से वाकिफ़ हैं हम
हमें और उलझाना ठीक नहीं
अगर मन में मुरत है मेरी तो परदों से
चूपके मेरा दीदार करना ठीक नहीं ....