कृष्णन
कृष्णन
ममधुसूदन
मुझे मंजूर है , हर तरह से दुआ माँगना।
हे-सारथी बिन माँगे भी मुझे बहुत मिला।
अर्जुन मिला तुमसे ,संजय भी मिला था।
रणक्षेत्र में सौभाग्य से विराट-रूप मिला।
गर मेरी मुराद हो पूरी, अगले जन्म की।
अभिलाषा होगी मेरे यही सहस्त्रों जन्म की।
बनूँ मैं कौन्तेय अर्जुन, आप मुझे मिले वहीं।
न जाने कब मिलेगा , मेरे केशव-सा सारथी।
तेरे चरणों की धूल को , मस्तिष्क चढ़ा लूँगा।
हर बार रण में ,विचारहीन खुद को बढ़ा लूँगा।
बस हो मेरे साथ तुम - अधर्म का नाश करूँ।
सेना का क्या करूँगा,मैं माधव का विश्वास करूँ।
पितामह को भूल गया , धर्म का जब दास बना।
मेरा ही सौभाग्य था, जो सारथी का विश्वास बना।
हे माधव तेरा दास हूँ , मैं जन्मोंजन्म विश्वास हूँ।
इच्छा अधूरी न रहे आपकी बस इसी से निराश हुँ।
समझौते से धर्म का विनाश , तूने क्या कर दिया।
धर्म के लिए महाभारत और, मुझे अमर कर दिया।
कभी महान अर्जुन नहीं था ,तूने महाबाहो बनाया।
गीता उपदेश से मेरे मन को , और सुंदर बनाया ।
जब - जब जिक्र होगा , मेरे श्याम की लीला का।
पार्थ-सारथी, कृष्ण-अर्जुन, कौन्तेय-केशव मिला था।
हे माधव शिशपाल नाम है मेरा आज कलिकाल में ।
तेरे चक्र से मरने का सौभाग्य मुझे भी मिला था।
मेरे माधव को मेरा प्यार ।
शिशपाल चिनियाँ "शशि"