हे मधुसूदन केशव बनवारी तू सृष्टि की दृष्ट्री है युग को राह दिखता है !! हे मधुसूदन केशव बनवारी तू सृष्टि की दृष्ट्री है युग को राह दिखता है !!
मुझे मंजूर है , हर तरह से दुआ माँगना। हे-सारथी बिन माँगे भी मुझे बहुत मिला। मुझे मंजूर है , हर तरह से दुआ माँगना। हे-सारथी बिन माँगे भी मुझे बहुत मिला।
लटक देख माखन की मटकी । मधुसूदन की मंशा भटकी ।। लटक देख माखन की मटकी । मधुसूदन की मंशा भटकी ।।
राज्यसभा में हो न अपमानित, माना कि हर युग में तुम, राज्यसभा में हो न अपमानित, माना कि हर युग में तुम,
इस बार हमारे संग होली खेलने आओ देवकीनंदन इस बार हमारे संग होली खेलने आओ देवकीनंदन