माखन की मटकी
माखन की मटकी
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लटक देख माखन की मटकी ।
मधुसूदन की मंशा भटकी ।।
दो-दो चार संग कर जोड़ा ।
मार लठ्ठ फट मटका तोड़ा ।।
सुनकर मैया भागी पीछे ।
छिपे कन्हैया आंखें मीचें ।।
कान पकड़ ले आई आंगन ।
बंधे लाड़ लडाऐ मोहन ।।
क्षमा करो ओ प्यारी माता ।
माखन देख नहीं रुक पाता ।।
देख मुस्काई,नन्ही काया ।
यशोमती ने गले लगाया ।।