ऋतु बसंत ले रवानी आई
ऋतु बसंत ले रवानी आई
प्रकृति ने धानी चूनर फैलाई,
लबों पर मुस्कान है आई।
हृदय खिल उठे देख पुरवाई,
ऋतु बसंत ले रवानी आई।
सुर्ख मेहंदी से सजी हाथों का रंग लाल,
शबनमी बूंदों से सजी कोपलों के खिले गाल।
मधुमास ने वीणा की झंकार बजाई,
ऋतु बसंत ले रवानी आई।
शरबती रूप लिए गोरी निखरी,
अलकें लागे बिखरी-बिखरी।
ऋतुराज में अजब खुमारी छाई,
ऋतु बसंत ले रवानी आई।
सुनहली धूप में खिल जाए मन सबका,
छूकर गुजरे मस्त झोंका पवन का।
प्रेमी हृदय में बजे शहनाई,
ऋतु बसंत ले रवानी आई।
खिले उपवन, लगे मधुबन,
कोयल कूके, झूमें है मन।
बागों में हरियाली छाई,
ऋतु बसंत ले रवानी आई।
टिम-टिम करते तारे सितारे,
मोती जैसे लगते हैं प्यारे।
पीले फसलों पर दूधिया रंग छाई
ऋतु बसंत ले रवानी आई।
बौराते आमों की डाल,
इंद्रधनुष के रंग कमाल।
सोंधी-सोंधी खुशबू है लाई,
ऋतु बसंत ले रवानी आई।
