ज़ू पार्क में
ज़ू पार्क में
मम्मा ने मेरा हाथ पकड़ा है, हम छोटे रास्ते पर जा रहे हैं।
मम्मा कहती है:
“जानवर बाद में देखेंगे, पहले बच्चों के लिए प्रतियोगिता होगी।
हम स्क्वेयर की तरफ़ जाते हैं, वहाँ बहुत सारे बच्चे हैं।
हर बच्चे को एक-एक बोरा दिया जाता है, इस बोरे में घुसना है और उसे अपने सीने पर बांधना है. तो, बोरे बांध दिए गए हैं और बोरों वाले बच्चों को सफ़ेद निशान के ऊपर रख दिया जाता है।
कोई झण्डा हिलाता है और चिल्लाता है : “भागो!”
बोरों में उलझते हुए हम भागते हैं, कई बच्चे गिरते हैं और रोने लगते हैं, उनमें से कुछ उठ जाते हैं और रोते हुए आगे भागते हैं।
मैं भी बस गिरते-गिरते बचा। मगर बाद में, चालाकी से, अपने इस बोरे में तेज़ी से आगे बढ़ने लगा।
टेबल के पास मैं सबसे पहले पहुँचता हूँ, म्यूज़िक चल रहा है, और सब लोग तालियाँ बजाते हैं, और मुझे मार्मेलाड का बॉक्स, एक छोटा-सा झण्डा और तस्वीरों वाली किताब दी जाती है।
अपने इनाम सीने से चिपकाए मैं मम्मा के पास आता हूँ ।
बेंच पर मम्मा मुझे ठीक-ठाक करती है, वो मेरे बालों में कंघी करती है और रूमाल से मेरा धब्बों वाला चेहरा पोंछती है।
इसके बाद हम बंदरों को देखने जाते हैं, ताज्जुब है, क्या बंदर मार्मेलाड खाते हैं? उनका स्वागत करना चाहिए.
मैं बंदरों को मार्मेलाड देना चाहता हूँ, मगर अचानक देखता क्या हूँ, कि मेरे हाथों में बॉक्स ही नहीं है...
मम्मा कहती है:
“शायद हम बॉक्स बेंच पर ही छोड़ आये हैं."
मैं बेंच की ओर भागता हूँ,मगर वहाँ मेरा मार्मेलाड वाला बॉक्स नहीं था।
मैं इतनी ज़ोर से रोता हूँ, कि बंदर मेरी तरफ़ देखने लगते हैं,
मम्मा कहती है:
“शायद, तेरा बॉक्स किसी ने चुरा लिया है, कोई बात नहीं, मैं तुझे दूसरा ख़रीद दूँगी”.
“मुझे वो ही वाला चाहिए!”
मैं इतनी ज़ोर से चिल्लाता, कि शेर थरथरा जाता है और हाथी सूँड ऊपर उठा लेता है।