ये इश्क नहीं आसान

ये इश्क नहीं आसान

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केवल ने जब पहली बार परा को देखा था तब उसके मन में प्यार के अंकुर पनपे थे। उम्र के उस पड़ाव पर मन में भावनाओं का सागर हिलोरे ले रहा था बार बार हर बार बस परा को देखने की लालसा रहती थी और परा इन सब बातों से अनभिज्ञ।

ये कहानी खूबसूरत परा की है जो एक खानदानी धनी राजपूत परिवार ही बेटी है। खुद के पैरों पर खड़े होना है ये सोचकर नौकरी करने के किये रिटेल सेक्टर चुना  और नॉयक केवल एक मराठी गरीब परिवार का बेटा है पर उसके मन में उसकी सोच मेंं कही भी गरीबी नहीं थी उम्दा व्यक्तित्व वाला लड़का महज 18 साल का नौजवान और उम्र मेंं उससे 2 साल बड़ी परा।

कहानी परा और केवल की।

नए रिटेल स्टोर खुलने के लिएसब सेटअप हो चुका था सभी कर्मचारियों को अच्छी तरह से ट्रेनिंग दी गई थी और एक नया हाइपर स्टोर खुला था केवल को कैश डिपार्टमेंंट दिया गया था जिसमें उसे बिलिंग स्टोर के खर्चे और कैश से सम्बंधित काम करने थे बाकी सभी सेल मेंं थे। अकेले सुबह दस बजे से रात के दस बजे तक संभाल पाना आसान न था। केवल मेंहनती और ईमानदार था इसलिए उसने कभी कुछ नहीं बोला पर मैनेजर साहब को एक और असिस्टेंट तो रखना ही था केवल के मदद के लिए।

एक सप्ताह बीत जाने का बाद स्टोर के मैनेजर प्रणव सर ने केवल को एक असिस्टेंट चुनने को कहा।

केवल तुम सभी स्टाफ मेंं से किसी एक का चुनाव कर लो जो तुम्हारे अनुपस्थिति मेंं काम कर सके। केवल को अच्छा लगा ये जानकर कि ये जिम्मेंदारी उसे दी गई। रविवार का दिन था स्टाफ मीटिंग थी केवल मीटिंग ले रहा था तब पहली बार उसका ध्यान परा पर गया। वैसे तो अक्सर देखता था पर आज उसकी नजर सिर्फ परा पर थी क्योकि उसे किसी एक का चुनाव भी करना था जो मेंरा काम भी देख सके और सेल भी कर सके।

केवल ने मीटिंग खत्म होने के बाद प्रणव सर को बताया कि उसने परा राजपूत को चुना है।

वाह प्रणव सर केवल की तारीफ करते हुए कहे मुझे फक्र है कि तुंमने बहुत अच्छा चुनाव किया है बहुत खूब केवल गुड जॉब !

 "शुक्रिया सर।

तुंमने परा को बताया ?

नहीं सर !

क्यों  ? आश्चर्य होकर सर बोले।

" पता नहीं सर ! आप बता देना उसे।

ठीक है तुम जाओ और उसे आफिस मेंं भेज दो !

" ठीक है सर केवल चला गया और बाहर जाकर परा से पहली बार बोला तुम्हें सर ने अंदर बुलाया है।

" ठीक है कह के परा चली गयी।

बाहर आई तो थोड़ी खुश थी और केवल को मुस्कुराकर शुक्रिया कहा मैं तैयार हूं तुम्हारे साथ काम करने को।

केवल भी खुश हुआऔर मुस्कुराता हुआ बोला बढ़िया।

ये मुस्कुराकर पहली बार की शुक्रिया ने केवल के दिल पर प्यारी सी छाप छोड़ दी थी। पहली बार किसी लडक़ी को देख कर 'गुड वाली 'फीलिंग आई थी। अक्सर ऐसा होता है साथ में काम करने वाले दो लोग साथ में पढ़ने वाले दो लोग मेंं प्यार की साठ गांठ अच्छी हो जाती है।

वक्त शुरू हुआ प्रशिक्षण का जब केवल ने परा को अपने काम बताने शुरू किए दुनिया की पहली ऐसी अच्छी वाली ट्रेनिंग होती है जब एक लड़का किसी लड़की को अपने कामो को समझाता है बहुत ही प्यार से एक बार दो बार और जब तक समझ न जाये बार बार। केवल तो मन ही मन सोचता था कि परा जितना लेट सीखे उसके लिए अच्छा हैपर लड़की थी होशियार बहुत जल्दी सब कुछ सीख लिया।

एकतरफा मुहब्बत की गाड़ी पटरी पर चढ़ चुकी थी और धीरे धीरे आगे बढ़ने के लिए दिल रूपी इंजन मेंं हवा भर रही थी समय मिलता तो दोनो खूब बाते करते एक साथ लंच करना चाय पीना ये सब होने लगा। जब बाते खूब होती तो इकरार तकरार भी होता !

हाँ और ना शब्दो का प्रयोग भी बहुत होता पल मेंं खुशी और दूसरे ही पल मेंं मनमुटाव भी होता।

परा को ज्यादा कुछ समझना नहीं था बस उसे ये लगता कि एक दोस्त मिला है जो दिल का अच्छा है गुणी है काबिल है और सबसे अच्छी बात मददगार है।

परंतु केवल के तरफ से एक अपनापन था एक ऐसा साथी जिसका गम उसका और खुशी के लिए कुछ भी करे। परा अगर किसी बात को मना करती तो उसका केवल का मुंह फूल जाता और एक घंटे पांच घंटे या शायद एक दिन के बोलचाल बंद पर अगले दिन या अगले घंटे फिर से बातचीत शुरू।

.अट्ठारह से बीस साल वाली प्यार की कश्ती थी शांत पानी में भी हिचकोले ले रही थी। एक तरफा मुहब्बत का दौर आठ महीने तक चला।

 एक दिन हिम्मत कर के केवल ने फोन लगाया और जब परा ने फोन उठाया तो उंसने अपने प्यार का इजहार कर दियाऔर धाराप्रवाह बोले हुए बोले कि जल्दीबाजी मत करना कल आराम से बताना

 परा कुछ कहती उससे पहले केवल ने फोन कट कर दिया ...यस !!! चिल्ल करते हुए केवल भाई साहब ने मुट्ठी बांध कर के विन पावर दिखाया जैसे कौन सा जग जीत लिया हो।। पर ये उनके लिए या उन जैसे नौजवानों के लिए जीत ही था जब सच्चा प्यार करने वाला इजहार करता है तो खुद को दुनिया का सिकंदर समझता है।

 दूसरे दिन बेसब्री से इंतजार होने लगा ग्यारह बजे गए बारह बज गए तेरह बज गए जी जनाब हँसिये मत तेरह और चौदह भी तो बजते है फिर शाम हो गई परा नहीं आई। इनका तो बुरा हाल था सोच सोच के

कही उसे बुरा तो नहीं लग गया न ?

कुछ हुआ तो नहीं है ना ?

सर से पुछु क्या ? शायद उन्हें पता हो !! ऐसे कैसे छुट्टी मार सकती है।

फोन भी नहीं कर सकते थे डर था कही कुछ बूरा न बोल दे कल तक इंतजार करता हूँ। शाम निकालनी मुश्किल थी रात तो शायद जाग कर ही बीतेगी यही सोच सोच कर कि आई क्यों नहीं ?

 आज सुबह से केवल नहा धोकर बन ठन पहन कर तैयार था पर 10 जल्दी नहीं बज रहे थे केवल के। पहाड़ जैसी सुबह लग रही थी उसके घर से स्टोर का फ़ासला बस कुछ ही मिनट का था पर वो जल्दी निकल गया और समय से पहले ही पहुच गया।

 .जैसे ही समय मिल केवल ने सहमें सहमें परा से पूछा कि कल क्यों नहीं आई। ?

बस ऐसे ही थोड़ी तबियत खराब थी।

क्या हुआ था ?

थोड़ा सा बुखार !

अब तो ठीक हो न ?

हाँ बिल्कुल ! तभी तो आई हूं !

तो जवाब क्या है ?

किस बात का !

मैंने फोन पर कुछ पूछा था।

 केवल ये संभव नहीं परा ने बहुत ही शालीनता से जवाब दिया। मुझे ये सब पसंद भी नहीं तुम मुझसे 3 साल छोटे भी हो और मैने तुम्हे कभी इस नजर से देखा भी नहीं। तो अपना ध्यान रखो काम करो आगे बढ़ो दोस्त हमेंशा बने रहोगे। बस मैं इतना ही कह सकती हूं।

 केवल की तो जैसे दुनिया ही उजड़ गई थी उसे इस तरह की जवाब की अपेक्षा नहीं थी उसका मनोबल टूट गया। निराश हो गया था केवल इतना कि दोपहर का कहना उसके गले से नहीं उतरा। आज उसके चेहरे पर उदासी साफ साफ झलक रही थीस्टाफ मेंं किसी को पता तो नहीं था पर केवल परा से आज खिंचा खिंचा से रहने लगा था रोजाना साथ में लंच करने वाला इंसान आज लंच समय में बाहर बैठा था काफी समय तक परा उसका इंतजार भी करती रही ।

 जब केवल वापस ऑफिस मेंं आया तो परा से उखड़ा उखड़ा से रहने लगा था। शायद उससे दुखी और हारा हुआ इंसान कोई दूसरा न था उसके मन में तरह तरह के ख्यालात आते थे अब किसी से बात नहीं करेगा? अब उसका कोई नहीं? अगर परा मेंरी जिंदगी नहीं तो कोई औऱ तो कभी भी नहीं। अब मेंरा क्या होगा ? 

उदासी का सिलसिला कुछ दिन तक चला। केवल सभी जगह मन्नतें मांगने लगा साई बाबा मां के दरबार में बजरंग दादा के दरबार में।  प्यार का जुनून इस कदर हावी था कि वो मन से पूजा अर्चना करता। 3के दिन जब ऑफिस आया तो दाहिने हाथ का तलवा पूरा जला हुआ था परा देखकर बोली कि कैसे हुआ ?

 फिर केवल भाईसाहब ने जो बताया वो बहुत ही दर्दनाक था साई बाबा के मंदिर मेंं हाथ में कपूर रखकर आरती कर रहे थे दर्द होता रहा पर बुझने तक हाथ टस से मस नहीं किया। परा उसे समझाती रही और हाथ मेंं मरहम लगाकर पट्टी बांधी।

 परा के बहुत संमझाने पर शायद कुछ समझ आया था केवल को और दोनों फिर से एक अच्छे दोस्त की तरह रहने लगे। पर केवल को अभी भी आशा थी कि मैं हार क्यों मानू मैं कोशिस करता रहूंगा।

अब वो मंदिरों मेंं जाने लगा पूजा अर्चना के लिए हर जगह परा को मांगता।

एक दिन पहली बार दोनों बाहर मिले बाते हुई बहुत सी बातें समाज बिरादरी घर परिवार परा तो बस अपने परिवार और अपने रुतबे के बारे मेंं बाते करती रही कि मेंरे घर में सब कितना कठिन है ये सब।

इसी तरह दुबारा मिले दोनों इस बार फिर केवल ने कोशिस कि परा क्या जरा सा भी जगह नहीं है तुम्हारे दिल में मेंरे लिए क्या तुम मुझे मुझे नहीं चाहती।

नहीं केवल परा बोली तुम मेंरे बहुत अच्छे दोस्त हो पर ये संभव नहीं और अब मेंरे लिए घरवाले लड़का ढूंढ रहे है। मेंरी तो शादी भी होने वाली है तुम भी अपने काम पर ध्यान दो इन सब बातों के बारे मेंं मत सोचो।

 एक तीसरी बार भी मुलाकात हुई दोनों की एक मंदिर मेंं केवल को भगवान पर बहुत भरोशा था वो बहुत विश्वास करता था आस्था पर इसलिए ज्यादातर व्व मंदिर मेंं मिलना ही पसंद करता था। आज फिर उसने परा को बोला एक बार सोच लो परा मैं तुमसे बहुत प्यार करता हु मैं तुम्हे कभी दुखी नहीं रखूंगा तुम मेंरे साथ बहुत खुश रहोगी।

 मैंने कहा था न ये संभव नहीं !! परा के लफ़्ज़ों मेंं थोड़ी नरमी थी और बड़े प्यार से बोली मेंरा अफेयर है केवल अहमदाबाद मेंं लड़का जॉब करता है

केवल के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई

वो मेंरी बिरादरी का भी है इसलिए शादी मेंं कोई अड़चन नहीं आएगी  परा ने केवल को समझाया तुम अपना ख्याल रखो और खुद पर ध्यान दो। और परा वहां से चली गई।

 केवल का दिल नहीं माना ये संभव नहीं था वो रोने लगा उसके दिमाग में अजीब अजीब तरहः की बाते आने लगी मेंरी तो दुनिया ही खत्म हो गई वो रात केवल के लिए बहुत कठिन थी पूरी रात रोया आंखे लाल लाल हो गई थी सुज कर मोटी हो गई थी उसका दिल नहीं मान रहा था कि कुछ ऐसा भी होगा। पर अब एक निर्णय लेना था। एक ऐसा निर्णय जिससे उसे भी बुरा न लगे और इसी सोच के साथ केवल आफिस पहुँचा।

उंसने परा से कोई बात नहीं कीपूरा दिन कट कट कर रहने लगा। बस काम पर ध्यान देता उससे काम की ही बात करता। लंच भी साथ में नहीं किया। परा को थोड़ा अजीब लगा पर वो समझ गयी कि ये बंदा सच में बहुत इज्जत करता है मेंरी सच्चा प्रेम करता है पूरा दिन उसे ही देखती रही वो। उसके चेहरे पर उदासी साफ दिख रही थी जैसे सब कुछ हार कर बैठा हुआ है।

 शाम को परा जब घर जाने लगी तो केवल के हाथ में एक कागज का टुकड़ा थमा के गई  केवल बहुत उत्सुक हुआ और फटाफट उसे खोल कर देखा उसमें परा ने प्यार के हाँ बोला था और बहुत ही शालीन तरीके से उंसने पांच कंडीशन रखे थे केवल के सामने अगर ये सभी पूरा करते हो तो मुझे कोई आपत्ति नहीं। केवल बहुत खुश हुआ इसने हाँ तो बोला मैं कुछ बभी करने को तैयार हूं। जब उसने कंडीशन पढ़ा तो उसे एक झटका से लगा!

1पूर्ण शिक्षा

2. एक अच्छी नौकरी

3. अपना खुद का एक घर

4. मेंरे माता पिता को तुम ही मनाओगे

5. सामाजिक विवाह .

 केवल बहुत खुश हुआ उंसने हार नहीं मानी और सभी कंडीशन के लिए तैयार हो गया। दूसरे दिन परा से कह दिया कि वो सब पूरा करेगा बस तुम कही मत जानापरा के दिल में केवल के लिए जगह तो थी पर प्यार और सपने उंसने अब देखने और करने शुरू किए। अब दोनों मिलने लगे फ़िल्म भी साथ में देखने लगे बाहर खाने पीने लगे और केवल के टारगेट के बारे मेंं भी सोचने लगे। साथ साथ उंसने अपनी स्टडी भी चालू रखी और वहाँ से नौकरी छोड़ कर अब वो एक दूसरे फॉरमेंट मेंं था केशियर का काम छोड़ कर एडमिन के जॉब मेंं।

कुछ महीने बाद पहली बार उसने अपनी मां से परा के बारे मेंं बताया मां ने कोई खाश तवज्जो नहीं दी बस इतना कहा कि पहले छोटी बहन की शादी के बारे मेंं सोचो फिर आगे देखेंगे। केवल की दो बहनें थी एक बड़ी जिसकी शादी हो चुकी थी और दूसरी उससे छोटी जिसकी शादी करनी थी।

 केवल और परा ने कोर्ट मेंं रजिस्टर शादी कर ली अपने खुद के सुरक्षा के लिये क्योकि मां ने भी अच्छे से जवाब नहीं दिया था उसे शक था कल को कोई जबरजस्ती करे तो और दोनों एक दुसरे को प्रेशर मेंं आकर छोड़ दें तो ? केवल ने उतनी ही दोगुनी स्पीड से काम करना शुरू किया उंसने एक और कंपनी कि बदली फिर एक और कंपनी बदली और फिर उसने अपने घर की मरम्मत के लिए बैंक से लोन लिया। अपने पिताजी को लोन के पैसे दिए कि आप घर ठीक करवा लो कल को बहन की शादी भी होनी है तो घर अच्छा होना चाहिए।

 एक दिन केवल अपने एक दोस्त परा और उसकी मां को लेकर प्रसिद्ध देवी माता के मंदिर गया जहाँ पर लोगो की श्रद्धा बहुत होती थी। केवल के दोस्त ने केवल और परा की शादी की बात छेड़ दी तो परा की मां वही रोने लगी मैं मराठी लड़के के साथ अपनी बेटी की शादी नहीं कर सकती मुझे घर ले चलो। ये मेंरे जीते जी संभव नहीं। केवल अब परेशान हो गया उसे तो सामाजिक विवाह करनी थी सभी को साथ में लेकर चलना था। केवल ने उसकी माँ को बोला कि ठीक है आप परा को परेशान मत करना हमने कोई गलत काम नहीं किया है। आप जब तक हाँ नहीं बोलोगे हम कोई गलत कदम नहीं उठाएंगे।

 पर परा की मां के दिमाग में वो बात घर कर गयी। समय अपनी गति से निकल रहा था। परा की भी शादी की बात चलने लगी परा हर बार मना कर देती थी। कुछ समय और बीत जाने के बाद केवल अपनी बहन की शादी मेंं लोन लेकर मदद की और धूमधाम से उसकी बहन की शादी हुई। शादी मेंं परा को भी आना था पर तबियत खराब होने की वजह से नहीं आ पाई।

एक दिन केवल ने अपने पूरे परिवार को बिठाया और आमने सामने बोला कि अब सब कुछ ठीक है मेंरी शादी का क्या ?

तुम्हारी शादी मतलब तू कहाँ भागा जा रहा है।

पापा मैंने मम्मी को बताया है और मिलवाया भी है मैं जिस लड़की से शादी करना चाहता हु।

 केवल के पापा घूरते हुए उसकी माँ को देखे मां तुरंत मुकर गई।

मुझे नहीं पता !!

ये क्या भाई अब यही दिन देखने बाकी थे ये बड़ी बहन के वाक्य थे।

कान खोलकर सुन लो तुम शादी तो तुम्हारी हम अपने समाज में ही अपने तरीके से करेंगे।

तुम्हे तुम्हारी नहीं चलने देंगे बहुत हो गया तमाशा अब अपना अपना काम करो मुझे सोने दो।

पापा की बात सुनकर केवल परेशान हो गया। उसे लगने लगा कि अब अपने ही लोग साथ नहीं दे रहे है तो दूसरे क्या साथ देंगे पर हुआ इसका उल्टा निराश होकर केवल अपने गुरु प्रणव भाई के पास गया जो कभी उसके बॉस हुआ करते थे उंन्हे वो गुरु ही मानता था। उनके पास जाकर वो बहुत रोया पहली बार उसने उनको अपनी प्रेम कहानी बताई।

प्रणव भाई को जानकर हैरानी हुई कि मेंरे पास काम करते थे और मुझे ही पता नहीं चला फिर उन्होंने दूसरे दिन दोनो को बुलाया और बोला कि शादी कर लो मेंरे पास घर भी है जो खाली है मुझे कुछ नहीं चाहिए यहाँ आ जाओ। दोनों मान गए और अपने अपने घर पर अंतिम निर्णय बताने चले गए।

 अब बात बहुत आगे बढ़ चुकी थीपरिवार से अब रिश्तेदारों तक बात गई दोनों के परिवारों मेंं एक से बढ़कर एक थे समाज का हवाला दोनों दिए धमकियां दोनों तरफ हुई ऊंच नीच धन दौलत राजपुताना मराठा क्या क्या न हुआ एक मारपीट के अलावा। कुछ दिनों तक ये सब चलता रहा केवल अपने घर पर सिर्फ रात को सोने जाता था आफिस से छूटने के बाद भी वो घर नहीं आता था चिक चिक खिट पिट की वजह सेवो स्वामी विवेकानंद के आश्रम मेंं जाता था और घंटो वही बैठा रहता था।

मां बाप से ज्यादा उसकी ज़िंदगी में दखल दने वाली उसकी खुद की बहन थी जो अच्छे के साथ होती तो कोई बात नहीं पर हमेंशा जहर उगलते ही नजर आती। अपना मानसिक संतुलन खो बैठे इससे अच्छा था वो आश्रम मेंं जाना। सच्ची वाली मुहब्बत ही तो करता था वो अगर चाहता तो दोनों घर छोड़ देते और शादी कर के रहते पर अपना वादा निभाने के चक्कर में वो सामाजिक शादी ही करना चाहता था।

 एक रात उंसने परा को फोन किया पर उंसने उठाया नहीं दो बार तीन बार चार बार दस बार काल किया पर कोई जवाब नहीं फिर अचानक मेंं फोन रिसीव होता है पर कोई बोलता नहीं है बस आवाज आती है घकर पर लड़ने की शायद भाई ने हाथ भी उठा दिया था वो चिल्ला रहा था इसको ले चल के गांव वाले घर में कैद कर देते है मरे चाहे जिये। मां बाप के इज्जत का ख्याल नहीं इसको। केवल फोन पर सारी बाते सुन रहा था उसे बहुत घबराहट हो रही थी।

 दूसरी रात परा ने गुरु जी यानी प्रणव भाई को फोन किया कि अगर केवल मेंं दम है तो मुझे ल जाये मैं अब यहां एक दिन भी नहीं रह पाऊंगी।

केवल के लिए वो रात कैसी होगी जब वो अपने दो दोस्तों को लेकर परा के घर रात को बारह बजे पहुच जाता है। एक दोस्त तो घर के पास जाकर पीछे हट जाता है और कहता है भाई तुम जाओ घर में मैं तो चला अपने घर जान नहीं गवानी मुझे।

पर उसका दूसरा दोस्त वही डंटा रहा केवल ने उस दोस्त को घर के बाहर कुछ दूर पर छोड़ दिया और खुद अंदर जाने के किये दरवाजा खटखटाया दोस्त से बोला कि जब तुम्हे लगे कुछ बड़ा गड़बड़ है तो भाग जाना मेंरी परवाह मत करना।

दरवाजा खुला सामने ही उसका भाई केवल को देख कर बौखला गया पापा आओ देखो कौन आया है मारो इसेकेवल घबड़ा गया उंसने तुरंत अपने हाथों मेंं लिए कागज दिखाए और बोला अगर मुझे या परा को कुछ भी हुआ तो पुलिस सभी को अंदर कर देगी ये देखो हमारी शादी के पेपर इसकी दूसरी कॉपी मैंने दोनों पुलिस थाने मेंं दे दिया है।

 क्यों आया है यहाँ ?

परा को भेज दो पत्नी है मेंरी हमने शादी की है।

सभी सुनकर दंग रह गए ?

मैं ये कदम उठाना नहीं चाहता था पर आप सभी लोगो ने हमें मजबूर किया है । तभी अंदर से बैग पैक करके परा बाहर आई मैं तैयार हूं।

फिर केवल बोला हमें जाने दो कोई भी नुकसान पहुचाओगे तो याद रखना आप लोग भी बच नहीं पाओगे।

 ये धमकी अपने बाप को देना उसका परा का भाई बोला कुछ भी हो हम ले जाने नहीं देंगे।

डर तो केवल को बहुत लग रहा था उंसने किसी पुलिस को नहीं बताया था बस झूठ बोल रहा था घर में लटक रही नंगी तलवारों से उसकी ऐसी की तैसी हुई पड़ी थी बहस होने लगा तभी बाहर से बगल वाले घर में से परा के चाचा और चाची आये सारा माजरा समझते देर नहीं लगा । उन्होंने सभी को समझाया और बताया कि अब कोई फायदा नहीं। इन दोनों ने शादी तो कर ही ली है इन्हें जाने दो। सभी लोग मान गए चाचा चाची केवल को अपने घर ले गए रात के दो बजे खाना भी खिलाया बाहर से उंसने अपने दोस्त को भी बुलाया और फिर तीन बजे दोनों घर वापस आये परा को छोड़कर कि सुबह कुछ लोगो को लेकर आना और सबके सामने लेकर जाना सामाज भी तो देखे।


 सुबह केवल एक दो दोस्तों को लिवाकर परा के घर गया और उसको लेकर अपने उस घर में आया जहां उसके गुरु प्रणव भाई रहते थे। परा के घरवालों ने परा को उसी दिन अपने घर जायदाद से बेदखल कर दिया पूरी कागजी कारवाही के साथ। केवल और परा की जिंदगी की शुरुआत हो चुकी थी पूरा दिन घर सेटअप करने मेंं लगा। शाम को अपने घर गया तो दरवाजे पर ही उसका तमाचे से स्वागत हुआ चटाक !!

 तुझे किसी की नहीं पड़ी है समाज क्या सोचेगा।

कौन सा समाज आंखों मेंं आंसू लिए केवल बोला

यही समाज जहां तू रहता है ..

हां यही समाज ना जब खाने को कुछ नहीं रहता तो झांकता भी नहीं और जब पेट भरा रहता है तो खाना आफर करता है।

 पूरी रात बहस हुई और परा वहां उस घर में अकेली।

दूसरे दिन केवल ने फिर कुछ सामान वगैरह का सेटअप किया और तथाकथिक उसे घर पर बुलाया गया था तो परा को छोड़कर वो फिर उस रात को अपने घर गया

घर पर फिर वही मीटिंग... घर मेंं सभी लोग मौजूद थे परिवार के अलावा कुछ खाश रिश्तेदार भी .. केवल के जाते ही उसका स्वागत किया गया.. बड़ी बड़ी बाते.. उस लड़के को ज्ञान की बाते बताई जा रही थी जिसने अपनी खेलने कूदने की उम्र से ही नौकरी शुरू कर दी थी.. जिसने महज ग्यारह साल की उम्र मेंं अखबार बांटना.. छोटे छोटे कारखानों मेंं काम करना शुरू कर दिया था और आज इस मुकाम पर था कि घर भी बनवाया.. बहन की शादी भी की.. और जब उसकी खुद की बड़ी आई तो माता पिता तो समझ सकते है.... रिश्तेदार भी संमझाने लगे!!

उंसने अपने लोगो से सिर्फ अपनी पसंद की दुल्हन ही तो मांगी थी.... पर उसके रिश्तेदार कम नहीं थे पूरी तैयारी मेंं आये थेकेवल की बर्बादी के लिए और उसके माता पिता की आबादी के लिए नोटरी बनवा के लाये थे जिनमें लिखा था कि .....

मैं केवल वानखेड़े ये वादा करता हु कि....

1. मुझे इस घर मेंं कोई हिस्सा नहीं चाहिए !

2. घर का लोन मैं ही पूरा करूँगा !

3. इस घर मेंं मेंरी पत्नी का कोई भी हिस्सा नहीं होगा !

4. पूरी जिंदगी अपने माँ बॉप की सेवा करूँगा !

5.हर महीने उंन्हे ......पैसे दूंगा !

6.कभी भी प्रदेश छोड़कर बाहर नहीं जाऊंगा !

7.मेंरी पत्नी साड़ी ही पहनेगी !

8.सभी सामाजिक रीत निभाउंगा!

और इन सभी बातों को मानते हुए केवल अपने नए किराए के घर मेंं आ गया.. पूरी रात उसे नींद नहीं आई रोता रहा परा ने बहुत पूछना चाहा पर उंसने उसे कुछ नहीं बताया. बस यही सोच रहा था कि मैं अपने मा बाप की सेवा नहीं करूँगा तो कौन करेगा परिवार के लिए ही तो कर रहा हु मुझपे भरोशा नहीं....

 अगली सुबह उसे फिर कोर्ट ले जाया गया जहां उसे फिर इम्मोशनल ब्लैकमेंल किया गया अभी भी वक्त है घर आ जा और उसे छोड़ दे केवल ने अब दृढ़ संकल्प कर लिया था !! उंसने उस नोटरी कागज पर हस्ताक्षर कर दिया और उसकी एक कॉपी लेकर घर आ गया!

रात को परा ने जब वो स्वीकार नामा पढ़ा तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई... ये क्या क्या साइन कर के आ गए...!! उंसने तुरंत प्रणव भाई को ये बात बताई प्रणव भाई ने उसे बहुत डांटा कि एक बार पूछ तो लिया होता !!

 भैया क्या करता मैं परिवार है मेंरा वो।

और ये ये तेरी कुछ नहीं एक काम कर भाई परा को रहने दे मेंरे पास बहन समझ के पूरी जिंदगी पाल लुंगा

भैया मुझे खुद पर भरोशा है... मैं उनके रहमोकरम पर परा को लेकर नहीं आया हु... और अगर वो इसी से खुश है तो रहे !!

किसी तरह प्रणव भाई माने तब जाकर केवल को शांति हुई।

दोनों ने कभी सोचा नहीं था कि इस तरह पति पत्नी वाली जिंदगी की शुरुआत होगी हर जोड़ी खुद को बेहतर बनाता है सजता है सँवरता है प्यार के नाव मेंं सवार होने के लिए गोते लगाता है और अपनी हसीन पारी की शुरुआत करता है। पर इधर बिल्कुल उलटा था रात मेंं देर तक उंन्हे नींद नहीं आती एक दूसरे को संमझाने चुप कराने मेंं ही पूरी रात निकल जाती।

 अब शुरू हुई घर गृहस्थी केवल और परा की केवल रोजाना अपने घर जाता और चुपके से अपना एक कपड़ा बैग मेंं रखकर लाता था कि मां को बुरा न लगे.... !! पर केवल की मां और उसके पिता को केवल पर जरा से भी भरोशा नहीं था जीवन बीमा की पॉलिसी फ़ाइल मांगता रह गया केवल ... पर मा ने नहीं दिया कही छुपा कर रख दिया था केवल ने मां को बहुत समझाया कि मैं अलग नहीं आपलोगो ने मुझे अलग कर दिया है आखिर मैंने ऐसी कौन सी बड़ी जिद कर दी जो आप नहीं दे सकती मां ?

 सबसे पहले मैंने आपको ही तो बताया था और आपने कहा भी था कि समय आने पर मैं तेरे साथ खड़ी रहूँगी ?

मेंरी एक गलती बता दो ?

 आपको बेटियों के अलावा मैं कभी दिखा ही नहीं !

केवल को मुश्किल से मां ने जीवनबीमा की फ़ाइल दी उसमें भी छीना झपटी होने लगी.. तो गुस्से मेंं आकर उंसने फ़ाइल को फाड़ दिया !!

सोलह दिनों तक केवल मां से मिलने नहीं गया फिर फोन पर मां और केवल बहुत रोये और उसके जीजा जी और बहन ने उसे समझाया कि अब जो हो गया वो हो गया तुम भाभी को लेकर घर आ जाओ!!

 केवल के खुशी का ठिकाना नहीं रहा वो तुरंत परा को लेकर घर गया... पर उस रात भी खूब बहस हुई... बेकार की बातों को लेकर... भाभी को अंदर ही रखना साड़ी पहना कर मुहल्ले वालो को पता न चले कि तेरी पत्नी है... जब तक हम शादी न करा दें...!

 वक्त अभी भी ठीक नहीं था.... केवल को अब दबाव डाला गया कि सामाजिक रूप से शादी करनी है... वो मान भी गया पर धूम धमाके से शादी करनी हैये सब उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा.... उसके पास अभी इतने पैसे नहीं थे कि वो सब व्यवस्था कर सके... उसकी दोनों बहनों ने बड़ी बड़ी मांगे रख दी अन्य रिश्तेदारों को भी मना कर शादी मेंं बुलाना है... और सभी खर्चे तू खुद उठाएगा !!

केवल के लिए ये सब आसान नहीं था पर माँ बाप की खुशी के लिए उंसने ये सब किया लोन लिया दोस्तो से उधार लिया और सभी रिश्तेदारो और परिवार वालो को खुश किया!!

परा के परिवार वालो ने भी परा से सभी रिश्ता तोड़ दिया

 अब परा अपने ससुराल मेंं केवल के साथ रहने लगी.. जॉब के सिलसिले मेंं उसे कभी कभी बाहर जाना पड़ता तब परा को बहुत सी यातनाओं का सामना करना पड़ता था उसे विश्वाश नहीं हो रहा था कि उसकी भी जिंदगी ऐसी हो जाएगी... एक बड़े खानदान की लड़की थी परा छोटी छोटी बात पर ताने सुनने को मिलते थे!!

यहां तक कि जब परा माहवारी मेंं होती तो उसके हाथ का छुआ कोई नहीं खाता ऐसी बहुत सी यातनाएं सहती रही वो छोटी छोटी बातों को लेकर उसे बोला जाता था बिजली ज्यादा जलाती है वाशिंग मशीन खूब चलाती है वगैरह वगैरह। मानसिक रूप से त्रस्त हो चुकी थी परा केवल को उसकी हालत देखी नहीं गई अब केवल ने एक फैसला लिया कि मैंने तो सब निभाया.. कागजात भी बनवाये घर पर सब देने का वादा भी किया और हर महीने पैसे भी दे रहा हु पर जो लड़की मेंरे भरोषे पर आई है उसे तो तकलीफ नहीं दे सकता !! मुझे एक बेटा भी बन कर रहना है पर मैं एक पति भी हु ये बात नहीं भूलना चाहिए।

ये सोचकर वो हमेंशा के लिए घर छोड़कर अपने उसी किराए के मकान मेंं आ गया !!

 एक साल हो गया आज केवल के पास सब कुछ है खुद का व्यापार खुद का घर और तीन लोगो को अपने व्यापार मेंं नौकरी भी दी है जिसमें एक तो उसके खुद के पिता जी है.. जो छोटा मोटा इक्का दुक्का करते थे !! अब तो उसके मां बाप भी उसके साथ रहते थेउसके नए घर मेंं . वो हर महीने पिताजी को तनख्वाह भी देता है और मां को अलग से वादे के हिसाब से हर महीने पैसे भी अब सब कुछ ठीक था सभी रिश्ते नाते निभाये उंसने।

 लेखक केवल और परा के प्यार की निशानीके रूप मेंं उनका बेटा हुआ जिसका नाम रखा गया "ध्वनित

इस तरह प्यार की जीत हुई एक बेटे के जज्बे की जीत हुई "उनका इश्क़ मुकम्मल हुआ की तरफ से केवल के जज्बे को सलाम वो और आगे बढ़े और परिवार को हमेशा साथ रख कर चले।


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