STORYMIRROR

Shweta Bothra

Drama

4  

Shweta Bothra

Drama

XXL Zindagi (डबल XL ज़िन्दगी)

XXL Zindagi (डबल XL ज़िन्दगी)

12 mins
718

निशि पिछले 10 मिनट से अपनी क्लास की ग्रुप पिक्चर को घुर रही थी....निशि को छोड़कर क्लास के लग-भग सारे बच्चे थे उस सेल्फी में....... पिक को देखकर जब मन और आँखें दोनों भरी आई तो निशि ने FB से लोग आउट किया और आईने के सामने जाकर खड़ी हो गई.

अपने आप को इस तरह देख रही थी मानों खुद को पढने की कोशिश कर रही हो या मन ही मन पूछे सवाल का खुद से ही जवाब मांग रही हो....जो सवाल उसके मन में था थोड़ी देर में होठों पर आ ही गया...”क्यूँ हूँ मैं इतनी मोटी ???” और इसी सवाल के साथ पलकों की कोरों में कैद आंसू भी छुट कर बह गया.....

12th में पढने वाली निशि का अक्सर ऐसे ख्यालों से आमना – सामना होता था और अपने इसी मोटापे के कारण निशि सबके साथ घुल-मिल नहीं पाती और ज्यादातर वक़्त अपनेआप में ही खोई रहती और उपर से निशि के पापा सरकारी नौकरी में थे इसलिए हर ४-5 साल में उनका ट्रान्सफर होता था और हर ट्रान्सफर के साथ बदलता था निशि का स्कूल और उसे इक्का-दूका दोस्त ...

इस बार निशि के पापा का ट्रान्सफर इंदौर में हुआ था...ये स्कूल भी नया था इसलिए भी निशि अपने आप को ज्यादा अकेला और आउट ऑफ़ प्लेस समझती थी...जब क्लास में बच्चे ग्रुप पिक ले रहे थे तब भी निशि लास्ट बेंच पर ही बैठी थी....पर ना निशि पिक खिंचवाने के लिए गई ना ही उसे किसी ने बुलाया....

निशि का मोटा होना उसके हाथों में नहीं था.......वो हाइपरथयरोईडीसम (hypothyroidism) की पेशेंट थी जिसमें मोटापा होरमोनस के इम्बैलन्स होने से होता है पर ये कोई नहीं जानता था.... सब जानते हैं तो सिर्फ इतना की निशि का फिगर पर्फ़ेक्ट नहीं था और वो साइज़ 0 नहीं डबल XL के दायरे में आती थी...

स्कूल में, माल्स में, सड़कों पर लोगों की नज़रों से ही निशि समझ जाती थी की वी लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं इसलिए उसे घर में ही रहना अच्छा लगता था जहाँ उसे कोई जज नहीं करता था....

घर में वो पापा की परी थी...मम्मी की सबसे प्यारी बेटी थी....दादी की नन्ही गुडिया थी और दीदी की बेस्ट फ्रेंड थी...कई बार स्कूल से लौटी निशि का उदास चेहरा और फीकी मुस्कान देखकर दीदी समझ जाती थी की वो क्यूँ उदास है और फिर रात में डिनर के बाद छत पर वाक करते – करते उसे समझाती की “प्लीज निशि तू अपने मोटापे को लेकर उदास मत हुआ कर...प्रॉब्लम तेरी हेल्थ नहीं लोगो की छोटी सोच है....”.

निशि दीदी की बात सुनती तो थी पर यकीन नहीं कर पाती थी क्यूंकि उसे पता था आजकल खुबसूरत शक्ल खुबसूरत दिल से कहीं ज्यादा मायने रखती है

ऐसा नहीं था की स्कूल में सभी बच्चे उसे चिढाते थे ....उसके कुछ दोस्त भी थे....जैसे मोंटी और सोनम....निशि रहती तो इन दोनों के साथ थी पर क्लास की अधिकतर लड़कियों की तरह उसका दिल भी अटका था क्लास के सबसे हैंडसम और पोपुलर लड़के राज पर...और अटकता भी कैसे नही..दिखने में अच्छा ...बात करने में शरीफ और जब निशि नई-नई स्कूल आई थी तब राज ने आगे रहकर उससे हेल्लो किया था और बोला था की “तुम अभी यहाँ किसी को जानती नहीं तो तुम्हें कभी भी नोट्स वगैरह की ज़रूरत हो तो without any hesitation you can ask me”

बस तब से ही निशि अपने ख्याली पुलाओ को आंच पर रख कर उसकी खुशबू से दिल भर रही थी...उसे मालूम था की राज के ऊपर क्लास की आधा दर्जन लड़कियां मरती हैं और वो भी सबसे खुबसूरत लड़कियां इसलिए उसका कोई चांस नहीं है पर भाई ऐसे मामलों में दिल अपनी सुनता कहाँ है उसने तो कानों में हैडफ़ोन लगाए होते हैं और लूप में सिर्फ रोमांटिक गाने सुनता रहता है.........

अगले दिन फ्री पीरियड में शाहीन ने चिल्ला कर कहा “हे गर्ल्स हमारी ग्रुप पिक पर 500 लाइक्स हो गए हैं” तब भी निशि उन हंसती – खिलखिलाती लड़कियों को देख कर सोच रही थी कितनी खुशकिस्मत हैं ये सब....ये लोग ख़ूबसूरत हैं, इनके पास परफेक्ट फिगर है और इन्हें कोई डर भी नहीं है ना ही किसी के जजमेंट का और ना किसी से रिजेक्ट होने का....

निशि को तो लगता है उसने पूरी ज़िन्दगी डर और शर्म में ही बिताई है....बचपन से लेकर आज तक वो कभी इतना कॉन्फ़िडेंट्ली नहीं जी पाई है जैसे बाकि सारी लड़कियां जीती हैं। निशि अपने ख्यालों से बाहर आई जब सोनम ने उसकी आँखों के सामने हाथ घुमाया और बोला “कहाँ खोई है....चल कैंटीन से कुछ खा कर आते हैं” निशि का जाने का मन नहीं था सो ना कर दिया...फ्री पीरियड था इसलिए देखते ही देखते पूरी क्लास खाली हो गई।

निशि क्लास में बैठी कुछ पढ़ रही थी की अचानक तूफान की तरह भागता हुआ राज क्लास में आया...पसीने से लथपथ...और आते से ही निशी से पुछा “निशि तेरे पास पानी है ??” बिना कुछ बोले निशि ने बोतल राज की तरफ बढ़ा दी....राज ने मुह लगा कर एक ही साँस में आधी बोतल पानी पी लिया..निशि को बोतल लौटाते वक़्त उसकी नज़र निशि की नोटबुक पर गई तो वो बोला “निशि तेरी हैण्ड राइटिंग तो बहोत अच्छी है”..यार तू कमाल है....तेरी केमिस्ट्री अच्छी है, फिजिक्स भी अच्छा है और तो और तू तो मैथ्स में भी नंबर 1 है”....निशि के सामने वाली बेंच पर बैठते हुए राज बोला “बेटा अकेली इतना ज्ञान लेकर कहाँ जाएगी...और किसी बड़े बुजुर्ग ज्ञानी ने कहाँ है की ज्ञान बाँटने से बढ़ता है इसलिए अब रोज़ क्लासेज के बाद १ घंटा तू अपना ज्ञान मुझसे बंटेगी ताकि तेरी तरह ९० % ना सही ८० की लाइन में तो आ जाऊं”

निशि ने मुस्कुराते हुए बस इतना कहा “ओके”

निशि की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था...ऐसा लग रहा था मानों स्माइल को फेविकोल से उसके होठों पर चिपका दिया गया हो...मोंटी ने आकर उससे पुछा भी “क्यूँ मोटू आज इतनी खुश क्यूँ लग रही है” पर निशि को उसका मोटू कहना भी बुरा नहीं लगा...घर पहुंची तो दीदी ने पकड़ लिया “क्या बात है निशि आज बड़ी खुश नज़र आ रही है”

निशि ने मुह बनाते हुए बोला “हाँ आज मेरा पूरा .१ kg वेट कम हो गया इसलिए खुश हूँ” इतना कहकर अपने रूम में चली गई और फिर मुस्कुराने लगी..

थोड़ी देर बाद अपने रूम से ही चिल्लाते हुए बोली “मम्मा कल से स्कूल से आने में १ घंटा लेट होगा..१५ दिन बाद प्रे-बोर्डस हैं तो कुछ दोस्तों के साथ मिलके ग्रुप स्टडीज करना है”

माँ ने भी किचन से ही चिल्ला कर बोला “ठीक है बेटा....अब एक टिफ़िन एक्स्ट्रा ले जाना नहीं तो शाम तक भूख लगने लगेगी”

निशि ने मन ही मन सोचा अब पेट में चूहे नहीं तितलियाँ उडेंगी तो टिफ़िन की क्या ज़रूरत....

अगले दिन निशि अपने फिक्स्ड टाइम से १ घंटा पहले उठ गई या यूँ भी कह सकते हैं की वो रात भर सो ही नहीं पाई थी

स्कूल पहुँचते से ही स्कूल खत्म होने का इंतज़ार करने लगी....जैसे-तैसे स्कूल खत्म हुआ ...सब लोग जाने लगे पर निशि अपनी जगह पर ही बैठी थी...सबसे नज़रे चुराते हुए राज को देख रही थी पर ये क्या राज ने बैग पैक किया और दोस्तों के साथ अपनी मस्ती में मस्त क्लास से बाहर चला गया

निशि तब भी अपनी जगह से उठ नहीं पा रही थी...अपने आप पर गुस्सा हो रही थी...सोच रही थी वो इतनी बेवकूफ कैसे हो सकती है...उसने ऐसा सोच भी कैसे लिया की राज उसके साथ पढने के लिए १ घंटा वेस्ट करेगा “सच में मेरे साथ तो कोई भी लड़का अपना वक़्त वेस्ट ही करेगा”....निशि बडबडा रही थी.....उसकी दिल की भड़ास आँखों से निकलने वाली ही थी की तभी भागते हुए राज आया और बोला “सॉरी यार याद ही नहीं रहा इसलिए बाहर चला गया....तो चल बता पहले किसकी क्लास लेगी”

बस फिर क्या था केमिस्ट्री, फिजिक्स, मैथ्स सबकी क्लासेज शुरू हो गई .....निशि इस एक घंटे के लिए पुरे २३ घंटे इंतज़ार करती....कभी-कभी ये सोचकर उदास हो जाती की सिर्फ १५ दिनों की बात है....एक बार प्री-बोर्ड्स ख़त्म हुई फिर वही सब पहले जैसा पर फिर अचानक दिल के हैप्पी वाले कोने से आवाज़ आती “बेटा १५ दिन तो खुश हो ले...बाद की बाद में सोचेंगे”

राज और निशि की क्लासेज फुल स्पीड में चल रही थी एक दिन राज ने आश्चर्य से कहा “निशि यार तू तो बहोत इंटेलीजेंट हैं....मैथ्स तो तू त्रिवेदी सर से भी अच्छा पढ़ाती है तो हमेशा चुप-चुप क्यूँ रहती है....थोडा शो-ऑफ किया कर..क्लास में सब तेरे आगे-पीछे घूमेंगे”

तब निशि ने बिना कुछ सोचे बोल दिया “मैं कुछ भी कर लूँ मेरे आगे – पीछे कोई नई घूमेगा” और फिर टॉपिक चेंज करके बोली “चल आज तुझे फोर्मुलास याद रखने की ट्रिक बताती हूँ”

राज उसकी बात का मतलब समझ तो गया था पर कुछ बोला नहीं।

इस रूटीन के दौरान सोनम ने एक बार निशि की चिढाया भी था “क्या बात है निशि...जिस लड़के से बात करने के लिए लड़कियां मरती है वो तो आजकल तेरे आगे-पीछे घूम रहा है”

तब निशि ने मुस्कुरा कर कहा “मेरे नहीं मेरी इंटेलिजेंस के आगे पीछे घूम रहा है और एक बार एक्साम्स खत्म तो ये आगे-पीछे घूमना भी खत्म”

निशि ने कई बार नोटिस किया जब भी वो और राज पढने बैठते...कुछ बच्चे खांसने लगते...कुछ जोर से हंसने लगते...कोई राज को आल द बेस्ट बोल कर जाता पर निशि सबको इगनोरे कर देती

ये वक़्त उसकी ज़िन्दगी का शायद सबसे बेस्ट फेज था और वो किसी भी कारण से इसे ख़राब नहीं करना चाहती थी। प्री –बोर्ड्स का लास्ट पेपर थे...और निशि खुश होने के बजाय उदास थी क्यूंकि राज और उसकी एक्स्ट्रा क्लासेज का भी ये आखरी दिन था। एग्जाम हॉल से निकलके राज दौड़ते हुए आया और निशि को हग करते हुए बोला “थैंक्स निशि...इतने अच्छे पेपर्स कभी नहीं गए मेरे...थैंक यू यार”। राज के इस अंदाज़ से निशि सर्प्राइज़्ड भी थी और खुश भी पर उसे आदत थी अपनी फीलिंग्स को छुपा लेने की इसलिए सिर्फ हल्का सा मुस्कुरा कर “वेलकम” ही बोल पाई।

निशि और राज अपनी बातों में मशगुल थे तभी उनकी क्लास का एक ग्रुप उनके सामने से गुज़रा....ग्रुप में से एक स्टूडेंट आशीष ने ज़रूरत से तेज़ आवाज़ में कहा “अरे प्री-बोर्ड्स तो खत्म हो गए अब किस सब्जेक्ट पर क्लास चल रही है” और जोर से हंस दिया....और उतनी हे तेज़ आवाज़ में सौम्या ने कहा “ ये स्पेशल क्लास है और सब्जेक्ट है how to loose waight in 15 days” और पूरा ग्रुप जोर-जोर से हंसने लगा।

उनकी हंसी की आवाज़ में इतनी तेज़ थी की सीधे निशि के दिल तक पहुंची और हमेशा की तरह लाचार और बेबस निशि रोते हुए वहां से चली गई....राज उसके पीछे –पीछे उसे आवाज़ लगते हुए गया था पर उसे रोक नहीं पाया...निशि ने इससे भी बुरे कमेंट्स सुने थे पर इस बार का दर्द हर दर्द से गहरा था...इस बार उसकी बेईज्ज़ती राज के सामने हुई थी...पूरा रास्ता निशि सिर्फ रोई थी...अपने आप को..अपनी बीमारी को कोस रही थी.....वो ये बात आज मान चुकी थी की उसकी इस XXL ज़िन्दगी में सिर्फ मोटापा और ज़िल्लत है...इसके अलावा कुछ नहीं...

घर जाते से ही सोने का बहाना बनाकर अपने रूम में चली गई...दादी और मम्मी से सोचा शायद थक गई है इसलिए कुछ कहा नहीं। शाम रात में बदली...रात सुबह में और सुबह दोपहर में पर निशि अपने रूम से बाहर नहीं आई...पूरा घर परेशान था...दादी जब आखरी बार उसे उठाने गई तो निशि के माथे को छुआ और जिस बात का डर था वही हुआ...निशि को तेज़ बुखार था...शायद ये उसका गुस्सा ही था जो उसके पुरे शरीर को तपा रहा था

३ दिन हो गए थे निशि स्कूल नहीं गई थी.....राज ने तीनों दिन उसे कॉल किया पर हर बार निशि ने कुछ न कुछ बहाना बना कर उससे बात नहीं की। सोनम ने चौथे दिन निशि को कॉल किया और बोली “प्लीज कल स्कूल आ जाना...प्री-बोर्ड्स की सारे सब्जेक्ट्स की कॉपीस दिखाने वाले हैं....तूने ये मिस किया तो आगे की स्टडीज कैसे प्लान करेगी”

निशि अगले दिन स्कूल में थी...उसी लास्ट वाली बेंच पर...उसे देखते हुए राज उसके पास दौड़ते हुए गया पर वो कुछ कहता उसके पहले निशि ने कहा “प्लीज राज आज कोई डिस्कशन नहीं...उस दिन जो हुआ वैसी बातों की आदत है मुझे....और मैं बीमार थी इसलिए पिछले कुछ दिनों से नहीं आई otherwise I am fine” और पढने में बिजी हो गई

त्रिवेदी सर क्लास में आ चुके थे....रोल नंबर के हिसाब से सबकी कॉपीस बाँट रहे थे...निशि के १०० में से ९१ मार्क्स थे....सर ने निशि को कंग्रैचुलेट भी किया....राज का नंबर आया तो सर रुक गए और बोले “राज इस बार तुमने बहोत अच्छा परफॉर्म किया है १०० में से ८३ स्कोर है.....आउटस्टैंडिंग” फिर थोडा मुस्कुराते हुए बोले “ये मेरे पढ़ने का कमाल है या किसी प्राइवेट क्लास का”

राज ने खड़े होकर कहा “सर ये निशि का कमाल है”

सर ने चौंक कर राज की तरफ देखा और पूरी क्लास ने निशि को......पर निशि आश्चर्य से राज को देख रही थी

राज ने आगे कहा “I am sorry but मेरे अच्छे मार्क्स का सारा क्रेडिट सिर्फ निशि को जाता है....सर वो बहोत टैलेंटेड है और ये बात आपसे बेहतर कौन जनता है....पर उसका टैलेंट और इंटेलिजेंस कभी सामने नहीं आ पता क्यूंकि वो डरती है क्लास में सबके सामने कुछ भी बोलने से...वो डरती है की वो एक लफ्ज़ कहेगी और हमारी क्लास के वेल-मैनर्ड बच्चे उसकी बात का जवाब उसकी हेल्थ का मजाक उड़ाते हुए गंदे कमेंट्स के रूप में देंगे...”

राज बिना रुके बोले जा रहा था ऐसा लग रहा था मानों वो इस दिन का इंतज़ार पता नहीं कितने दिनों से कर रहा हो..उसने आगे कहा “Sir I know इस बात से आपका कोई लेना-देना नहीं है पर इस क्लास के क्लास टीचर होने के नाते ये आपकी भी रेस्पोंसिबिलिटी है की आपकी क्लास का हर स्टूडेंट मेंटली ओके हो..उसे किसी तरह की परेशानी ना हो..पर सर निशि परेशान है..और उसकी परेशानी की वजह है हमारी छोटी सोच...हर किसीको सिर्फ उसके मोटापे में दिलचस्पी है.....निशि कैसी लड़की है..वो क्या सोचती है..हर वक़्त इतनी उदास और गुम-सुम क्यूँ रहती है ये तो कोई जानना ही नहीं चाहता

उसने आगे कहा “सर निशि hypothyroidism की मरीज़ है..उसका मोटा होना उसकी चॉइस नहीं मज़बूरी है और हम उसकी इस मज़बूरी का मजाक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते

“सर निशि को इस क्लास में पूरा रेस्पेक्ट और रेस्पॉन्स मिलना चाहिए...उसके टैलेंट और इंटेलिजेंस की क़द्र होनी चाहिए और पूरी क्लास को ये समझना होगा की कोई भी परफेक्ट नहीं होता और इसलिए निशि को उसकी हेल्थ की वजह से नीचा दिखाना कोई स्मार्टनेस नहीं बल्कि हमारी नैरो मेंटालिटी का प्रूफ है”


राज ने निशि की तरफ देखा और कहा “निशि मैं पूरी क्लास की तरफ से तुझसे माफ़ी मांगता हूँ..... really sorry यार तुझे हम लोगों की वजह से इतनी तकलीफ पहुंची....

राज अब चुप था और उसके चुप होते ही त्रिवेदी सर ने ताली बजाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते पूरी क्लास त्रिवेदी सर से ताल से ताल मिला रही थी और इस बार भी तालियों की गूंज इतनी तेज़ थी की सीधे निशि के दिल तक पहुंची और उसकी आँखें भीगा गई पर ज़िन्दगी में पहली बार निशि के आंसुओं का कारण उसका मोटापा नहीं था....आशीष, सौम्या और भी कई सारे बच्चे निशि से माफ़ी मांगने उसके पास गए पर निशि सिर्फ राज को देख रही थी...आज उसकी XXL ज़िन्दगी में पहली बार ज़रूरत से ज्यादा मोटापे का दर्द नहीं बल्कि ज़रूरत से ज्यादा खुशियाँ देने वाला एक दोस्त्त था.....

 



Rate this content
Log in

More hindi story from Shweta Bothra

Similar hindi story from Drama