Vimla Jain

Tragedy

4.7  

Vimla Jain

Tragedy

वह भयानक दुर्घटना और रात

वह भयानक दुर्घटना और रात

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वह एक बहुत भयानक रात थी। एक बस दुर्घटना की कहानी।उस बस का ड्राइवर नशा करके चला रहा था।वह बस में सो जाता है या झोंके खा जाता है इसके कारण बस खाई में गिर जाती है ।बस का एक्सीडेंट हो गया ।साथ की सवारियां सब शिकार हो गईं।

 मैं जो आपको घटना बताने जा रही हूं। मुझे सन् तो याद नहीं है। शायद 77 रहा होगा ।उस समय इंदिरा गांधी ने जो इमरजेंसी लगाई थी।उसके बाद में चुनाव होने जा रहे थे ।लोगों में बहुत ही उत्साह था इस उत्साह में गांव, गांव शामिल था गांव के बच्चे भी इनमें बढ़-चढ़कर के भाग ले रहे थे ।

वह बस ना जाने कहां की थी ।उसके ऊपर और अंदर इलेक्शन की रैली में जाने के लिए बहुत लोग बैठे थे। 

 ऊपर बहुत बच्चे बैठे हैं। उदयपुर के आसपास राजसमंद नाथद्वारा इंटीरियर गांव में खेमली घाट वगैरह बहुत आते है, बहुत ही मुड़ावदार रास्ता था ।

ऐसे ही किसी रास्ते से वह बस जो अंदर और ऊपर पूरी भरी हुई थी।ड्राइवर ने नशा कर रखा था। लोग पीछे भी लटक रहे थे ।और एक मोड़ पर वह बस थोड़ा सा रास्ता चूक गई और सीधे खाई में जा गिरी ।

खाई भी इतनी उंडी थी कि तत्काल लोगों को बचाना संभव नहीं था ।

तो भी वहां की पुलिस फायर ब्रिगेड जो भी संभव था सब ने वहां मदद करके काफी लोगों को बचाया ।

मगर वह ड्राइवर कंडक्टर और बहुत सारे लोग करीब पचास 55 इस दुर्घटना में मारे गए। बहुत सारे घरों के चिराग उजड़ गए।

जो लोग जिंदा बचे थे, उनमें से ही वे लोग बातें कर रहे थे कि बस ओवरलोडेड हो गई थी ।और ड्राइवर मना कर रहा था इतने लोगों उपर मत चढ़ो पीछे भी बहुत लोग थे, पर लोग मान ही नहीं रहे थे।

 लग रहा था फ्री की सवारी है ।इस बहाने हम भी उदयपुर घूम लेंगे।

उन लोगों को क्या पता था कि उदयपुर घूमते घूमते वहां की मुडावदार घाट की पहाड़ियों मेंकहीं खो जाएंगे और यह उनकी अंतिम यात्रा होगी। एकदम सही जगह तो मुझे आज याद नहीं है।

 मगर उस दिन रात को मेरे पति घर नहीं आए, तो मैं रात को छोटी सी बड़ी बिटिया को गोदी में लेकर जोदो-तीन महीने की थी हॉस्पिटल की तरफ जा रही थी। 

तभी वहां ऐसा मंजर देखा तो मुझे सब समझ में आ गया कि अब क्या होने वाला है।

 वह पूरी रात हमने वहां पर हॉस्पिटल के अंदर बेचारे घायल और लाशों के बीच में गुजारी बहुत ही खौफ नाख मंजर था। 

 उस रात का मंजर याद आया जो बहुत खौफनाक था।लोग उस बस/उस जगह को हांटेड कह रहे थे मगर मेरा मानना है हॉन्टेड कुछ नहीं होता है। हॉन्टेड तो लोग होते हैं। जो ऐसी स्थिति पैदा कर देते हैं। वह डरावनी रात मुझे हमेशा याद रहेगी लाशों और घायल लोगों के बीच में उनकी चीख पुकारों के बीच में बिताया हुआ वह समय जब भी ऐसी बात होती तो याद आ जाता है बहुत डरावना दृश्य था।

ईश्वर कभी दुश्मन के साथ भी ऐसा ना करें और लोग भी थोड़े संभाल के रहे तो सावधानी से रहें तो सावधानी हटी और दुर्घटना घटी वाली स्थिति ना हो।



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