Pankaj Kumar

Drama

3  

Pankaj Kumar

Drama

सुनहरा सवेरा

सुनहरा सवेरा

6 mins
244


रोहन बदहवास सा हॉस्पिटल के ऑपरेशन थिएटर के बाहर चहलकदमी कर रहा था। ऑपरेशन थिएटर की रेड लाइट उसे चिढ़ा रही थी। पिछले 3 घंटे से सोनिया ऑपरेशन थिएटर के अंदर थी। अकेले रोहन की घबराहट बढ़ती ही जा रही थी। कभी वह सोनिया की सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना करता, कभी ऑपरेशन थिएटर की लाइट की तरफ देखता, कभी घड़ी की तरफ देखता। 


तब ही रोहन की नज़र सामने से आती ,सोनिया की मम्मी जयाजी पर पड़ी। जयाजी की मानसिक मजबूती उनके व्यक्तित्व से ही झलकती थी। वक़्त के थपेड़ों ने उन्हें हर परिस्थिति को धैर्य से सम्हालना सीखा दिया था। उनके स्वयं के मन के समंदर के भीतर भारी तूफ़ान आया हुआ था, लेकिन चिंता की लहरें उनके साहस के किनारों को हिला नहीं पा रही थी। रोहन के फ़ोन के बाद से अब तक उन्होंने अपने को सम्हाल रखा था। वह अच्छे से जानती थी कि अगर वह ज़रा भी बिखरी तो रोहन और सोनिया को कौन समेटेगा।


उधर अब तक रोहन अपने आपको जैसे -तैसे सम्हाल रखा था, लेकिन जयाजी पर नज़र पड़ते ही रोहन के सब्र का बाँध टूट गया और वह बिलख -बिलख कर रोने लगा। 


"रोहन बेटा ,फ़िक्र मत करो। सब ठीक हो जाएगा।" जयाजी रोहन को दिलासा देने लगी। जयाजी की इकलौती बेटी सोनिया जीवन और मृत्यु के मध्य झूल रही थी। रोहन के घरवालों ने तो उसी दिन रोहन से सारे संबंध तोड़ लिए थे, जिस दिन उसने जयाजी की बेटी सोनिया का हाथ थामा था। 


रोहन की शादी को एक साल से उपर हो चुका था लेकिन घरवालों की सहमती के बिना ही उसने सोनिया से शादी करली थी। सोनिया पेट से थी और कुछ दिनों से तबीयत सही नहीं थी। डॉक्टर से सलाह लेने पर पता चला कि ऑपरेशन करना पड़ेगा नहीं तो सोनिया और उनके होने वाले बच्चे की जान को खतरा हो सकता है।


तभी ऑपरेशन थिएटर से नर्स बाहर निकली और बोली " पेशेंट की हालत बहुत खराब है बार बार पापा बोल रही है, इनके पापा कहाँ हैं उन्हें बुला दीजिए" और बोल कर चली गई। रोहन और जया जी ने एक दूसरे को देखा और जया जी का हौसला जो चट्टान से भी मजबूत था वो टूट गया और उनकी आंखों से सैलाब निकलने लगा। रोहन जो अब तक खुद को संभाल नहीं पा रहा था, समझ गया कि उनको संभालना पड़ेगा। 


रोहन बोला " मम्मी नहीं ,आप प्लीज मत रोइए, आप दिल हार जायेगी तो हमारा क्या होगा। आप के सिवा हमारे सर पर हाथ रखने वाला कोई नहीं है, मेरे परिवार वाले तो मुझे याद भी नहीं करते"।


जया जी ने खुद को संभाला और बोला " सोनिया 15 साल की थी जब इसके पिता जी चल बसे। वो सोनिया को बहुत प्यार करते थे और ये भी उनके बिना रह नहीं पाती थी, कोई भी परेशानी होने पर पापा को ही बुलाती थी।" आंसू साफ करते जया जी ने गहरी सांस ली और बोली " भगवान को कुछ और ही मंज़ूर था जो हमें अकेला छोड़ कर चले गए। " 


कुछ समय तक दोनों चुप हो गए और बैठ गए। तभी ऑपरेशन थिएटर से डॉक्टर अफरा तफ़री में निकले और बाहर नर्स स्टेशन पर बैठे नर्स से बोले "डॉक्टर सीमा को बुलाओ जल्दी, बोलो उनको इमरजेंसी है। जाओ जल्दी करो।"  ये देख कर रोहन और जया जी भी बेंच से उठ खड़े हुए। उनके चेहरे पर चिंता के भाव साफ दिख रहे थे। रोहन बोला "क्या हुआ डॉक्टर, मेरी वाइफ सोनिया कैसी है? कुछ प्रॉब्लम हुई है क्या? " 


"अभी हम कुछ नहीं बोल सकते, आप थोड़ा पेशेंस रखे" तभी तेजी से एक डाक्टर आती दिखी जो कि उम्र में काफी बड़ी थी और तजुर्बेदार भी। दोनों आपस में कुछ बात करते अंदर चले गए।


आधा घंटा बीत गया कोई बाहर नहीं आया। इधर जयाजी हाथ जोड़ कर और आंख बंद करके बैठी है, जैसे हर पल भगवान से प्रार्थना कर रही हो। रोहन भी इधर से उधर हॉस्पिटल की गैलरी में चहलकदमी कर रहा था और बार बार ऑपरेशन थिएटर की लाइट देख रहा था।


दरवाजे के खुलने की आवाज़ आई और जया जी ने आंखें खोली और रोहन भी तेजी से दरवाजे के पास आया, डॉक्टर सीमा बाहर आ रही थी और बाहर आकर बोली " आपकी वाइफ ने एक बेटी को जन्म दिया है और बेटी ठीक है लेकिन सोनिया को होश नहीं आया है और उसकी हालत अभी भी नाजुक है। " ये कह कर डॉक्टर बाहर की ओर चले गई और नर्स ने अंदर से इशारा किया। जयाजी और रोहन दोनो अंदर गए और देखा कि एक छोटी सी मासूम सी बच्ची आंखें खोलने की कोशिश कर रही है, वो बिलकुल शांत लग रही थी और चेहरे पर एक मंद मुस्कान दिख रही है। रोहन और जया जी के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई और आंखों में आंसू आ गए। रोहन ने नज़र दूसरी तरफ़ की और देखा की सोनिया बेहोश पड़ी हुई थी। डॉक्टर पास में खड़े बार बार मॉनिटर की ओर देख रहे थे।

तभी आवाज आई " इन्हें बाहर भेजो। जब तक कुछ समझ पाते नर्स ने रोहन और जयाजी को बाहर की जाने को कहा और धीरे धीरे उनको बाहर लाने लगी। रोहन पलट कर देखना चाह रहा था सोनिया को, पर उसे एक मशीन अंदर की और तेजी से ले जाते हुए एक मेल स्टाफ दिखा। जैसे की वो कहीं जल्दी पहुंचना चाहता है और लेट हो रहा है। 


रोहन और जयाजी कुछ समझ नहीं पा रहे है कि क्या हो रहा है। जब वो स्टॉफ बिलकुल नजदीक से गुजरा तो रोहन चिलाया "मम्मी ये तो वो मशीन है…सोनिया सोनिया.." जयाजी की आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे। 


सोनिया का दिल की धड़कन बहुत धीमी हो चुकी था या शायद रुक चुकी थी। इसलिए डाक्टर इलेक्ट्रिकल कार्डियो वर्शन करने जा रहे थे। रोहन ने उसी मशीन को देखा था। रोहन और जया जी दोनों के आंसू लगातार निकल रहे थे और नर्स अंदर जाते उनको धुंधली धुंधली दिख रही थी। ऑपरेशन थिएटर का दरवाज़ा बंद होता दिख रहा था। कानों में कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। बस कुछ आवाज़ें गूंज रही थी, जल्दी करो, जल्दी करो और दरवाज़ा धीरे धीरे बंद हो रहा था और एक आवाज के साथ बंद हो गया।


तभी एक जोर की आवाज़ आई और रोहन की आंख खुल गई। सामने देखा तो मुस्कान ने पानी की बोतल जमीन पर गिराई थी और रसोई से आवाज आती है "अब क्या तोड़ दिया? ये लड़की बहुत तंग करती है।"

हाथ आटे से लिपटे हुए और कुछ बोलते बोलते सोनिया कमरे में आती है और मुस्कान को उठाती है। 


सोनिया रोहन के माथे पर पसीने को देखती है और बेड पर बैठ कर अपने पल्लू से रोहन के माथे का पसीना पोंछती है और बोलती है " अब भी वही सपने में देखा। मैं यहीं हूं और ठीक हूं ना?  जल्दी तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ने वाली हूं । चलो उठो आज मम्मी भी आने वाली है।"


मुस्कान को गोद में उठा कर कमरे से चले गई। मुस्कान अब 2 साल की हो चुकी है। रोहन उठकर बेड पर बैठा और खिड़की से बाहर खिली धूप को देखते मन ही मन बोला " कितना बुरा वक्त था वो भी, सपने में भी याद नहीं करना चाहता" और पानी की बोतल उठा कर पानी पीता है। बाहर से रोहन के मम्मी पापा की आवाज़ आती है " क्या शैतानी कर रही थी मुस्कान? आओ दादा दादी के पास "।


वक्त एक ऐसा मलहम है जो हर दर्द को दूर कर देता है। सब दूरियों को मिटा देता है। रोहन अब अपने घर में मम्मी पापा के साथ ही रहता है। मुस्कान ने इस दुनिया में आकर सब के दिलों को जोड़ दिया। जयाजी भी इसी शहर में रहती है और दोनों परिवारों में खूब बनती है। आज जयाजी रोहन के घर आने वाले है। 

आज क्या है ? आज रोहन और सोनिया की तीसरी वेडिंग एनिवर्सरी है।


बाहर से हंसने की आवाज़ें आती है। रोहन मुस्काता है और भगवान का शुक्रिया अदा करता है। मन में बोलता है " हर काली रात के बाद सुनहरा सवेरा जरूर आता है।"



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama