सुमि

सुमि

3 mins
747


कई रात लगातार जागने से सुमि की आँखों के नीचे काले गड्ढे पड़ गये थे और आज फैसले की सुबह थी। सारी-सारी रात दीवार से टिकी हुई वो पलंग पर वो पूरी रात मोबाइल को उठाती और नीचे रखती रही थी। रविश टूर पर था और अक्सर अपने ऑफिस के काम से बाहर ही रहता था और इधर उसकी पीठ पीछे इन दिनों सुमि के अंदर से कोई दूसरी ही सुमि बाहर निकल आयी थी, और कहीं दूर तक चली गयी थी। वहाँ से आगे जाना है या लौटना है, यही कशमकश उसे जगाये रखती थी।

राज से उसकी मुलाक़ात एप्पल स्टोर के कस्टमर केयर पर हुई थी। वो एक छोटी मुलाक़ात थी। वो एक कस्टमर थी और राज एप्पल सर्विस स्टोर में एक सर्विस इंजीनियर। कोई पार्ट मिसिंग था उस दिन, इसलिए काम पूरा नहीं हुआ। राज ने सुमि को कुछ दिन बाद फिर आने को बोला। इस पर सुमि ने कोई पक्की तारीख़ राज से मांगी ताकि उसे आकर ख़ाली हाथ दोबारा न लौटना पड़े। इस पर राज ने सुमि से उसका मोबाइल नंबर ले लिया और कह दिया कि वो उसे फ़ोन कर देगा। इसके बाद एक-दो बार सुमि ने फ़ोन किया और दो-एक बार राज ने बस फिर दोनों मोबाइल नंबर्स के साथ-साथ खुद भी जुड़ गए। वो जुड़ाव नंबर्स से कब दिल पर घंटी देने लगा, पता ही नहीं चला। सुमि राज के साथ बहती चली गयी। रिश्ता धीरे-धीरे आगे बढ़ता ही चला गया। फ़ोन से सिलसिला मिलने-मिलाने तक आ पहुँचा। सुमि राज से उसके रुम पर मिलने लगी। एक दिन जिस्मानियाँ दूरियाँ मिटने के बाद जैसे सुमि नींद से जागी।

उसे खुद पर बहुत आश्चर्य हुआ और ग़ुस्सा भी आया। उसी दिन से उसने राज से दूरियाँ बना ली। राज ने बहुत फ़ोन और मैसेज किये, पर सुमि ने पलट कर कोई जवाब न दिया। ऐसा ही एक मैसेज कल रात से आया हुआ था।

"बहुत हुआ सुमि, ऐसा भी क्या हो गया। इतना क्यों सता रही हो ? क्या तुमने वो महसूस नहीं किया, जो मुझे महसूस हुआ। माना हमने हदें पार की पर प्यार में ही न सुमि। आ जाओ अपने राज के पास आ जाओ।"

सुमि ने एक आख़िरी बार हसरत से उस मैसेज को देखा, कुछ सोच एक ठंडी सांस ली और उसकी उँगलियाँ मोबाइल के कीबोर्ड पर थिरकने लगी।

"कुछ पल के लिए सुमि बन गयी थी। भूल गयी थी कौन हूँ, क्या हूँ। हदों में रहना बेहद मुश्किल है। अब जानती हूँ पर मुझे रहना होगा। जिस सुमि को तुम जानते थे ना राज, वो हार गयी ! उसे किसी और सुमि ने हरा दिया। मैं हमारी यादें लिये तुम्हें भूल रही हूँ। कितनी पागल बातें कर रही हूँ न मैं। तुम खुश रहना मैं भी कोशिश करुँगी। लापता सुमि।"

यह लिख उसने राज का नंबर ब्लॉक करके मोबाइल एक किनारे रख दिया। उस सुबह, एक सुमि खो गयी थी, एक सुमि लौट आयी थी।


Rate this content
Log in

More hindi story from Lokesh Gulyani

Similar hindi story from Drama