सपनो का राजकुमार
सपनो का राजकुमार


सपने तो हर कोई देखता है सपने कई तरह के होते हैं चाहे डरावनी हो या रोमांटिक हो ,आश्चर्यजनक हो सपने की दुनिया में हर कोई खो जाता है कभी-कभी सपने सच भी हो जाते हैं एक कहानी है निशा की प्रेम कहानी हैजो जो सच हो जाती है।
अरे निशा घोड़े बेच कर सो रही है क्या कब उठेगी। पूजा निशा को उठा ,क्या पता क्या सपने देखते रहती है हर समय बस उठेगी और मम्मी मैंने आज सपने में बस ये देखा कि कौन सा राजकुमार इसे ले जाएगा, भला सपने भी सच होते हैं क्या निशा मां की आवाज सुनकर जल्दी से उठ जाती है निशा की पढ़ाई अभी पूरी नहीं हुई है निशा दिखने में बहुत सुंदर थी इसलिए रिश्ते बहुत आने लग गए थे हर समय शादी की बात होती पर उसकी मां टाल जाती कि अभी पढ़ाई कर ले फिर हम उसकी शादी करेंगे पर निशा रोज सपनों में अपने शादी को देखती सुंदर सा राजकुमार आया और उसी से उसकी शादी हो गई l सपने देख बहुत खुश रहती और सोचती मुझे ऐसा ही राजकुमार मिलेगा l
अपनी सहेलियों को बता कर बहुत खुश रहती सभी सहेलियां उसे चिढ़ाते सपनो का राजकुमार कब आएगा ? निशा हमेशा सोचती कि जिससे मेरी शादी होगी राजकुमार की तरह सुंदर होगा अपने ससुराल में रानी की तरह रहूंगी। जैसे जैसे दिन बीतते गए निशा की पढ़ाई पूरी हो गई मां रिश्ते देखने लगी।
अरे श्यामा जल्दी से सफाई कर लड़के वाले आते ही होंगे (श्यामा निशा के घर काम करने वाली का नाम है) मेम साहब लड़का सुंदर तो है ना !। अरे श्यामा तू जल्दी काम कर बाद में सब बातें पूछना। तभी दरवाजे की घंटी बजती है लगता है लड़के वाले आ गए। निशा का खुशी का ठिकाना ना था अपने राजकुमार को देखने के लिए वह आतुर थी। निशा तू जल्दी से तैयार होक
र नाश्ते का प्लेट लेकर आना इधर उधर ना देखना जो पूछे वह बताना। जी मम्मी । निशा नाश्ते का प्लेट लेकर आई सिर नीचे करें शालीनता से बैठ गई। निशा बैठ तो गई थी। पर नजरे किसी और को ढूंढ रही थी। जिसे वह ढूंढ रही थी वह नजर नहीं आ रहा था। जी ठीक है हमें लड़की पसंद है दोनों तरफ से हां हो गई रिश्ता पक्का हो गया लेन-देन की बात हो गई।
निशा समझ नहीं पा रही थी यह कैसी शादी है। लड़का तो नहीं आया था तभी मां बोल पड़ी। अरे लड़के मैं कोई बुराई नहीं है। हमने उसे देख लिया है। उसके मां बाप ने तुम्हें देख लिया,व्यापार अच्छा है,परिवार अच्छा है और क्या चाहिए। निशा कुछ बोलती उसके पहले ही उसके मुंह बंद कर दिए गए। आखिर में शादी के दिन आ ही गए पुराने रीति-रिवाजों से शादी हो गई। निशा के मन में ढेरों सवाल पर जवाब कौन देता ?
उसके प्रश्न कोई सुनता ही नहीं था। उसकी सखियां मंडप पर उसके कानों पर पड़ी । तेरे सपनों का राजकुमार आ गया पर घुंघट के आड़ में बैठी निशा को बात चुभती लगती। विदाई हो गई पहला कदम तो ससुराल में रखा। तो दिल में सपनों का इतना भोझ दबा रखी थी। की सह नहीं पाई। चक्कर खाकर गिर पड़ी बेहोशी की हालत में थी। तभी निशा उठो पानी पी लो ससुराल का पहला दिन है। इतना ना घबराओ हम इतने बुरे नहीं है। भले एक दूसरे को देखे नहीं, मिले नहीं। पर तुम्हें मैं रानी की तरह रख लूंगा निशा की कानों में यह बातें पहुंचते ही उसकी आंखें खुल गई। अपने पति को देखते ही चौक गई कि क्या मेरे सपनों का राजकुमार यही है। जो मैं सपनों में देखा करती थी। वह आज सच में मेरे सामने खड़ा है। निशा खुशी से फूले नहीं समाई अपने सपनों का राजकुमार पाकर दांपत्य जीवन निभाने लगी।