श्राद्ध
श्राद्ध
कितनी बदल गई, दुनिया चंद ही दिनों में, माना परिवर्तन प्रकृति का नियम है।
परन्तु रिश्ते नाते भी अपनी कुछ अहमियत रखते है।
कभी-कभी अपने ही जीवन में कुछ घटनायें ऐसी घट जाती है। वो अपनी अमिट छाप अपने मन पर छोड़ जाती है।
जिसे हम आजीवन भुला नहीं पाते, वो कभी चलचित्र की माफिक हमारी आँखों के सामने आ जाती है।
ऐसी ही एक घटना मेरे साथ घटी।
आज जब मैं ऑफिस से लौट रहा था। मन बड़ा बेचैन सा लग रहा था। मन में माँ पिताजी की याद भी खूब आ रही थी।
पिछले साल की ही बात है दोनों कार एक्सीडेंट में नहीं रहे। मेरे ऊपर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
इकलौता बेटा होने के कारण समझ नहीं पा रहा था। सब कैसे कर पाऊंगा।
गाड़ी मंदिर की ओर मोड़ ली, मां पिताजी जब भी परेशान होते वहीं आकर घंटों बैठ ईश्वर से न जाने अपनी फरियाद करते थे।
मैं जब छोटा था, तब से उनके साथ यहां आता था।
लौटने पर उनके चेहरों पर अजीब मुस्कान देख, पूछ बैठता मां आज आपने भगवान जी से क्या मांगा वो हंसकर कहती तेरी समझ नहीं आयेगी।
बस उनसे मेरी फरियाद सुन ली। वो मेरे दुःख का निवारण पल में ही कर देते है।
मैं सोच में पड़ जाता ये एक मूर्ती के रूप में है ये क्या कर देते होंगे।
बाल मन समझ से दूर, आज मुझे लगा शायद आज मेरी परेशानी का हल भी भगवान ही निकालेंगे।
मैं मंदिर की सीढ़ियों पर जाकर बैठा ही था, मन ही मन सोच रहा था। माँ पिताजी का श्राद्ध भी मुझे इस वर्ष करना होगा।
माँ के मुंह से सुना था मृतकों का श्राद्ध बेटे को करना चाहिये।
वे दादा दादी का श्राद्ध बडे़ भाव से करती। भोज कराती उनकी पसंद के पकवान बनाकर पंडितों को यथा शक्ति दान देती।
बोलती उनकी आत्माऐ खुश होती है।
सब बाते चलचित्र की माफिक मेरे आँखों के सामने घूम रही थी।
इतने में देखता हूं, एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति मेरे बगल में आकर बैठ गये। उदास दिख रहे थे।
मैं पूछ ही बै
ठा का का आप भी भगवान से कुछ मांगने आये हो क्या?
वो तुरंत बोले हां बेटा मैं अपने बेटे की लंबी उम्र मांगने आया हूं। ईश्वर से मैंने कहा है आप मुझे उठा लेना पर मेरे बेटे को जीवन दान देना।
मैं पूछ बैठा क्या हुआ उसे, उन्होंने नम आँखों से बताया वो मौत के चंगुल में फंसा है।
डाँ का कहना है अगर दो चार दिन में हार्ट का वाल्व न बदला गया तो कुछ भी हो सकता है।
मेरे पास एक लाख रूपये थे, जमा कर दिये है। एक लाख और लगेगें।
सब जगह हाथ पसारे पर निराशा ही हाथ लगी।
मेरा बेटा ही मेरी जमा पूंजी है, हमारा कोई नहीं है।
अब ईश्वर ही कुछ करेंगे मुझे इनपर पूरा विश्वास है।
मेरी आंखों में आंसू आ गये ।
मैंने उन्हें काका कहकर संबोधित किया आप फिकर ना करे, उनकी आँखो में अजब सी चमक मैने देखी।
दूसरे दिन अस्पताल का पता लेकर, उनसे मैं आऊंगा डाँ से पूरी बात करूँगा अब आप जाइये।
मन ही मन श्राद्ध करने का विचार मन से निकाल बूढे़ बाबा के बेटे को बचाना है ।
ये सोच अस्पताल जाकर डाक्टरों से बात की और उनसे कहा आप आपरेशन करें जो रियायत आप कर सकते है वो कर दे पूरा पैसा मैं दूंगा।
डाँ भी मुझे देख रहे थे इस दुनिया ऐसे भले इंसान भी है क्या ये भगवान के रूप में आया है।
आपरेशन ठीक हो गया।
बेटा स्वस्थ हो गया काका की तो जैसे बीस साल उम्र बढ़ गई।
काका बोले मुझे तो साक्षात नारायण मिल गये।
बेटा गले लगकर बोला मैं आपको बड़ा भाई कह सकता हूं क्या?
मेरे पिताजी सिवाय कोई नहीं है इस दुनिया में, मैं बोला मैं तो अकेला ही हूं।
आज से अपन दोनों भाई भाई भले खून का रिश्ता नहीं है।
इनसानियत के रिश्ते से बड़ा जग में कोई रिश्ता हो ही नहीं सकता। आपने मेरे पिताजी की उम्र बढ़ा दी।
दीपक मन ही मन सोच रहा था मैंने माँ पिताजी का श्राद्ध सही रूप में कर दिया। मेरे मन में कोई मलाल नहीं रहेगा। इससे बढ़कर कोई पूजा हो नहीं सकती।