पतन-1
पतन-1
इस कहानी की शुरुआत होती है दिल्ली के छोटे से मोहल्ले से।
संजय नाम का एक लड़का था, जिसके मन में बहुत सारी उम्मीदें थी, इच्छाएं थी, जुनून था कि वह एक दिन बहुत ही बड़ा आदमी बनेगा। उसने दसवीं तक तो अपनी पढ़ाई पूरी की पर घर के हालात सही नहीं थे इसलिए काम करने के लिए मुंबई आ गया । मन में कुछ कर गुजरने का जुनून उसे लगन से काम करने पर मजबूर करता था। वह पहले सूत के फैक्ट्री में काम किया करता था, समय के साथ उसने तरक्की की और उसने अपनी दुकान खोली ।धीरे -धीरे अपना व्यापार बढ़ाते बढ़ाते वह कपड़े का बहुत बड़ा व्यापारी बन गया।
व्यापार को अच्छी तरह समझने के लिए उसने खाली समय में पढ़ाई भी की। इसी तरह दिन बीतते गए और लगभग 30 वर्ष की आयु में मुंबई का नामचीन व्यापारी बन गया। उसने अपने पूरे परिवार को जिसमें उसके माता- पिता और उसके बड़े भाई तथा भाभी थे, सभी को मुंबई बुला लिया। यहां आने के उपरांत सभी ने आग्रह किया कि वह शादी कर ले । उसने मुंबई के एक बहुत ही बड़े व्यापारी के बेटी से शादी कर ली।
लड़की बहुत ही पढ़ी लिखी थी और व्यवहार से बहुत सरल थी। कुछ सालों के बाद उनके घर एक लड़के का जन्म हुआ। बच्चे के आगमन की खुशी में उत्सव का आयोजन किया गया । सभी प्रकार के पूजा पाठ और रीति-रिवाजों के बाद उस बच्चे का नाम सार्थक रखा गया।
