ननिहाल...
ननिहाल...
आज फिर से बचपन के वो दिन याद आ गए।
जब नानी के घर हम सब धूम मचाया करते थे।
मां और मौसी की डाट से नाना बचाया करते थे।
घर में सबसे बड़ा बच्चा और शैतानी भी मै ही सबसे जायदा करता था।
स्कूल की छुट्टी पड़ते ही नाना के साथ नानी घर जाया करता था।
मैं था घर में सबका लाड़ला इसलिए अपने मन की करता था।
सुबह सवेरे नाना के संग खेतों में जाया करता था।
नाना चलते मेरे पीछे और मैं आगे भागा करता था।
नानी देख कर हस्ती थी मैं कैसे शरारत करता था।
डर लगता जब रात में मौसी के पास सोजाया करता था।
काश फिर से वो बचपन के दिन लौट आते ।
फिर से स्कूल की छुट्टी पड़ते नानी के घर जाया करते।