मंजिल के सफर में एक नया अनुभव।
मंजिल के सफर में एक नया अनुभव।
शशि जरा बाहर तो आ देख रूपा आई है, शशि की माँ रसोई घर में से काम करते-करते बोली। आई माँ , शशि बोली। पीला सूट पहने जुड़ा बनाए शशि अपने कमरे से बाहर आई। रूपा और शशि दोनों उसके कमरे में चले गए।
रूपा और शशि दोनों बचपन के दोस्त हैं और स्कूल में भी साथ ही पढ़ें थे। दोनों ही चांदनी चौक दिल्ली के रहने वाले हैं। शशि दिल्ली यूनिवर्सिटी के किसी कॉलेज से बीकॉम कर रही है और रूपा उसी कॉलेज से नॉन मेडिकल की पढ़ाई। दोनों सुबह एक साथ कॉलेज जाते हैं और साथ ही लौटते हैं।
शशि की माँ गरमा गरम चाय और पकौड़े लेकर आई।चाय की चुस्कियां और पकोड़े के साथ बातों का सिलसिला जारी रहा।रूपा ने बताया कि उसके दोनों भाई अमित और अजय कल मुंबई से लौट रहे हैं।रूपा का बड़ा भाई अमित मुंबई में किसी फैक्ट्री का मैनेजर है और उसका छोटा भाई अजय मुंबई में नौकरी करता है।उनके साथ रूपा के भाई अमित का दोस्त राजन भी आ रहा है। राजन ने अभी-अभी डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की है और अभी मुंबई में ट्रेनिंग ले रहा है। बातों का सिलसिला यूं ही जारी रहा और बातें करते-करते कब घंटे बीत गए पता ही नहीं चला।
सुबह के 9:00 बजे थे, शशि की माँ चिल्ला रही थी ,शशि अभी तक तैयार नहीं हुई कॉलेज के लिए लेट हो जाएगी।रूपा आज कॉलेज नहीं जाएगी उसके दोनों भाई तो आने वाले थे।घड़ी में 11:00 बजे थे रूपा, उसके भाई और राजन गरमा गरम चाय के मजे ले रहे थे। शाम को रूपा शशि के घर आई। पर आज रूपा के पास गप्पे लड़ाने का वक्त ना था। रूपा आज किसी खास वजह से आई थी। 2 दिन बाद उसके भाई अजय का जन्मदिन था। रूपा शशि को उसके भाई के जन्मदिन की पार्टी पर आमंत्रित करने आई थी। सुबह के 9:00 बज रहे थे रूपा और शशि दोनों कॉलेज के लिए निकल गए। रास्ते में जाते जाते रूपा ने शशि से कहा, देख शशि थोड़ा सज संवर कर आना, वरना तू तो एक सादा सा सूट पहने और जुड़ा बनाए रहती है! "शशि बोली ,क्या रूपा तू भी तुझे पता है ना मुझे कहां सजने संवरने की दिलचस्पी है।" रूपा बोली ,अरे शशि तुझे क्या पता तू कितनी खूबसूरत है बस सारा दिन अपने कमरे में किताबों के बीच पड़ी रहती है।शशि बहुत खूबसूरत थी ,बड़ी बड़ी आंखें ,लंबे काले घने बाल, तीखे नैन नक्श। शशि अपनी खूबसूरती से अनजान थी वह सिर्फ पढ़ना ही जानती थी। शशि की माँ जानती है कि उसकी बेटी सुंदरी है पर बचपन से ही उसके माता-पिता ने उसके अंदर पढ़ाई लिखाई और कुछ बनने का जज्बा पैदा किया है।शशि अपनी बीकॉम की पढ़ाई के साथ-साथ एमबीए के लिए एंट्रेंस टेस्ट की तैयारी कर रही है। शशि पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहती है।
आज अजय का जन्मदिन है। पार्टी की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है। शशि ज्यादा सजी नहीं उसने एक लाल रंग की साड़ी पहनी है और बाल खुले छोड़े हुए हैं। शशि समय से पहुंच गई और रूपा की तैयारियों में मदद करवाने लगी। मेहमान आने शुरू हो गए। कुछ देर बाद शशि की मुलाकात राजन से हुई। शशि की खूबसूरती राजन को अपनी ओर खींच रही थी। शशि रूपा के साथ बैठी थी और राजन दूसरी टेबल पर अपने दोस्तों के साथ बैठा था। राजन शशि की और लगातार देख रहा था।राजन का बर्ताव चाची को बहुत अटपटा सा लगा। शशि ने रूपा से कहा देख तो यह राजन कितना बदतमीज है? रूपा बोली कि राजन बदतमीज नहीं बल्कि एक बहुत अच्छा लड़का है। रात हो गई सभी मेहमान अपने-अपने घर लौटने लगे कुछ ही देर में शशि भी घर लौट आई।
अगले दिन सुबह शशि की मुलाकात फिर राजन से हुई। राजन ने शशि से बात करना चाहा पर शशि को उससे बात करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी।कुछ दिन बाद राजन से फिर मुलाकात हुई। उस दिन शशि, रूपा और राजन कुछ घंटों तक साथ बैठे रहे। शशि को पता चला कि राजन को एमबीए के बारे में बहुत सी जानकारी है। राजन को बहुत सी चीजों के बारे में भरपूर ज्ञान था। उस दिन शशि को लगा कि राजन इतना भी बुरा नहीं है। ऐसे ही लगातार कुछ दिनों तक उसकी मुलाकात राजन से होती रही। धीरे-धीरे राजन और शशि अच्छे दोस्त बन गए। राजन शशि कि कभी-कभी पढ़ाई में भी मदद कर दिया करता था। शशि को राजन से एमबीए के बारे में नई नई चीजें भी पता चलती थी।
शशि को राजन के साथ वक्त गुजार कर और उसे बातें कर कर खुशी मिलती थी। उनकी बीच बातें ऐसे ही चलती रही और दोस्ती का रिश्ता और गहरा होता गया। बातें करते-करते कब घंटे बीत जाते पता ही ना चलता।राजन शशि से प्यार करने लगा था। शशि उसको पहले ही दिन से बहुत पसंद थी। शशि को भी राजन के साथ वक्त गुजारने और उससे बातें करने में बहुत दिलचस्पी होती है।शशि को लगा कि उसने इतनी खुशी शायद पहले कभी महसूस ही नहीं की।
राजन और रूपा के भाइयों को दिल्ली आए हुए तकरीबन 15 दिन हो चुके थे। उनका वापस मुंबई जाने का समय हो गया। राजन को वापिस गए हुए 3 महीने हो चुके हैं। कभी-कभी शशि और राजन की फोन पर बात हुई है। रूपा ने शशि को खबर दी कि उसके भाई और राजन फिर से दिल्ली आ रहे हैं। शशि यह खबर सुनकर बहुत खुश हुई, आखिर उसे राजन से मिलने का मौका मिलेगा। फिर से राजन के साथ घंटों बातचीत हुई। 1 दिन शशि को रात नींद ना आए, उसे एक अजीब सा अहसास हुआ।
शशि राजन की ओर खींची चली जा रही है। कुछ दिन बीते और राजन और शशि दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे। सारा दिन किताबों में गुम रहने वाली लड़की को कब कुछ महीनों में किसी लड़के से प्यार हो गया ,पता ही ना चला। राजन ने शशि से कहा कि वह उसे उसकी सफलता की ऊंचाइयों पर देखना चाहता है। ,एमबीए कर एक मैनेजर बनते हुए देखना चाहता है।उसने कहा कि तुम्हारे एमबीए एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए।राजन का वापस मुंबई जोड़ने का समय हो गया। शशि और राजन की अक्सर फोन पर बातें होती रहती है! राजन को मुंबई गए हुए 6 महीने हो चुके हैं अब तक शशि की उससे कोई मुलाकात नहीं हुई।
शशि के एमबीए एंट्रेंस एग्जाम में बस कुछ ही महीने बाकी रह गए हैं। एक दिन रात को शशि को एहसास हुआ कि उसकी एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी जैसे कहीं रुक सी गई है। उस दिन उसे पूरी रात नींद ना आई। उसने पूरी रात बहुत सोचा। उसे एक बेचैनी सी हो रही थी। उसे एहसास हुआ कि उसका ध्यान पढ़ाई से हटता जा रहा है।उसने मन ही मन सोचा कि कहीं यह राजन की वजह से तो नहीं। उसकी सोच सही थी।कई दिनों से शशि की राजन से बात भी नहीं हुई, नाही राजन का कोई मैसेज या फोन आया था। शशि को एहसास हुआ कि कहीं ना कहीं उनका रिश्ता खत्म हो रहा है। 2 महीने बीत गए ना ही राजन दिल्ली आया और ना ही उसका कोई फोन या मैसेज। शशि के दो महीने एक अजीब सी बेचैनी और डर में गुजरे। फिर उसने यह बात अपनी माँ को बताई। शशि की माँ ने उसे इस मुसीबत से निकलने में बहुत मदद की। शशि को गलत ठहराने की बजाय शशि की माँ ने उसका साथ दिया। धीरे-धीरे कुछ दिनों में शशि राजन को भूल गई। उसका पढ़ने लिखने का जुनून और कुछ कर दिखाने का जुनून फिर से पैदा हुआ। वह अपनी एमबीए एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी में जुट गई।