Rashmi Prakash

Children

3  

Rashmi Prakash

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मम्मा मुझे आपके साथ स्कूल जाना है….

मम्मा मुझे आपके साथ स्कूल जाना है….

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“ क्या बात है बहू देख रही हूँ तुम दो दिन से बहुत परेशान हो… निकुंज ने कुछ कहा है या फिर ऑफिस में कुछ बात हुई है….?” सुमन जी ने पूछा 

“ कुछ नहीं माँ बस समझ नहीं आ रहा सब कुछ कैसे मैनेज करूँ..घर ऑफिस और ये अंश का स्कूल…. परसों उसका रिज़ल्ट मिलने वाला… आप तो जानती ही है बच्चों के साथ पैरेंट्स को भी बुलाया जाता है… निकुंज की जॉब ऐसी है कि वो अक्सर बाहर रहते हैं… हर बार मैं ही उसके स्कूल जाती हूँ… पर इस बार उस दिन बहुत ज़रूरी मीटिंग रखी है… कुछ लोग बाहर से भी आ रहे हैं बॉस ने हिदायत दी है इस मीटिंग में सबको रहना होगा… कोई बहाना नहीं चाहिए मुझे … अब मैं परेशान हूँ अंश के स्कूल नहीं गई तो वो नाराज़ होगा… हर बार उसकी टीचर तारीफ़ करती तो उसे बहुत गर्व होता है …अब क्या करूँ बस इसी उधेड़बुन में हूँ ।”

“ बस इतनी सी बात है… अंश को लेकर मैं चली जाऊँगी… तुम अपनी मीटिंग अटैंड करना… कितनी बार गई तो हूँ ही उसको लाने या छोड़ने उसके स्कूल …उस दिन भी चली जाऊँगी कौन सी बड़ी बात है ।” सुमन जी बहू को समझाते हुए बोली 

राशि के मन से अंश को लेकर जाने का बोझ कम हुआ तो वो पूरा फ़ोकस उस दिन होने वाली मीटिंग पर देने लगी।

रिज़ल्ट वाले दिन अंश ने राशि से कहा,“ मम्मा आज तो स्कूल जाना है ना…आप ऑफिस जा रहे हो… क्या हम रिज़ल्ट लेने नहीं जाएँगे ?” 

“ बेटा मम्मा को बहुत ज़रूरी मीटिंग में जाना है आज आप दादी के साथ चले जाओ और लौटते वक्त अपनी आइसक्रीम भी ले लेना दादी को सब बता दिया है…. ।” राशि अंश को समझाते हुए बोली 

“ नहीं मम्मा… दादी नहीं….. वहाँ सबके पैरेंट्स इंगलिश में बात करते… दादी माँ तो बस हिन्दी बोलती है….।” अंश की बात सुन राशि और सुमन जी आश्चर्यचकित हो गए…इतना छोटा सा बच्चा ऐसे कैसे बोल रहा

“ बेटा दादी आपको होमवर्क करवाती हैं ना… वो हर बात इतने अच्छे से समझाती आपको…आप ऐसे कैसे बोल रहे हो…. आज आप दादी के साथ जाओ…और देखना जब लौट कर आओगे दादी हीरो नजर आएगी ।” कह राशि बेटे को समझा बुझाकर गले पर चुंबन अंकित कर निकल गई 

वक़्त पर सुमन जी अंश को लेकर स्कूल पहुँची…अंश अभी भी मुँह फुलाए हुए था।

टीचर ने देखते ही पूछा,“ क्या हुआ अंश … आज आप किसके साथ आए हो…?”

“ मेरी दादी है।” मुँह लटकाएँ अंश ने कहा 

“ वाउ आपकी दादी तो बहुत स्मार्ट है… आज मम्मा किधर है?” टीचर ने पूछा 

“ वो मेरी बहू को ज़रूरी मीटिंग में जाना था इसलिए मैं इसके साथ इसका रिज़ल्ट लेने आई हूँ…आप मुझे दे दें।” सुमन जी ने कहा 

टीचर ने रिज़ल्ट दिया और एक रजिस्टर पर साइन करवाया….

अंश को चॉकलेट देकर तारीफ़ भी की…

सुमन जी टीचर से कुछ बातें करनी लगी..और बहुत कुछ पूछने लगी… टीचर सुमन जी से बहुत प्रभावित हो रही थी माना वो सारी बातें हिन्दी में कर रही थी पर आत्मविश्वास से लबरेज़ सुमन जी बिना हिचक बातें कर रही थी….अपने जमाने में वो भी अच्छी पढ़ी लिखी महिलाओं में शुमार थी और हिन्दी में उनकी पकड़ बहुत अच्छी थी अंग्रेज़ी समझ लेती थी पर बोलने के लिए हिन्दी ही प्रिय था।

अचानक वो टीचर से पूछ बैठी,“ क्या आपके स्कूल में हिन्दी को लेकर कोई समस्या है ?”

“ नहीं मैडम ऐसा तो कुछ भी नहीं है पर आप ऐसा क्यों पूछ रही है ?” टीचर ने कहा 

“ कुछ नहीं बस अंश आज इसलिए चुप है क्योंकि उसकी दादी हिन्दी में बात करेंगी… सब यहाँ पर अंग्रेज़ी में बात करते…वो मेरे साथ आना नहीं चाहता था… मुझे इस बात पर दुख हुआ कि हमारे ही देश में बच्चे हिन्दी बोलने पर शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं…बल्कि हमें तो अपनी मातृभाषा पर गर्व करना चाहिए…. अंग्रेज़ी या कोई दूसरी भाषा पढ़ना बोलना बहुत ज़रूरी है आज के समय में हिन्दी से अलगाव या दुर्व्यवहार ये जायज़ नहीं है…. आप इसे गलत मत समझना पर मैं आज अंश की बात सुन कर सोचने पर मजबूर हो गई… मैं इसके होमवर्क करवाती हूँ ज़रूरत पड़ने पर परीक्षा की तैयारी भी करवा देती हूँ पर बात तो हिन्दी में ही करती हूँ… इसलिए ये आज साथ आने में झिझक महसूस कर रहा था…अगली बार ऐसा नहीं हो इसका ध्यान रखे… ये सिर्फ़ अंश की ही नहीं मेरी तरह आने वाली हर इंसान की बात कर रही हूँ… बच्चे अगर अच्छा कर रहे हैं तो ज़रूर घर में भी उनपर ध्यान दिया जाता होगा… उम्मीद है आप मेरी बात समझ रही होगी ।” सुमन जी ने एक साँस में सब कह दिया 

“ सॉरी मैम, बच्चों पर ऐसा असर होता होगा हम सोच ही नहीं सकते थे… यहाँ हिन्दी में बात करने की इजाज़त नहीं है बस इसलिए की बच्चे अंग्रेज़ी अच्छे से बोलना सीख जाए पर हिन्दी से दूरी बना ले ये तो हम भी नहीं चाहेंगे….हिन्दी तो खुद में खास है…उससे दूर कैसे कर सकते है।” टीचर ने कहा और अंश की ठुड्डी पकड़ चेहरा उपर करते हुए बोली,” बेटा आज आपकी दादी से मिलकर बहुत अच्छा लगा…अगली बार भी दादी के साथ ही आना…।”

अंश एक बार दादी की तरफ़ देखा और एक बार टीचर की तरफ़….. दादी की तारीफ़ सुन अंश खुश हो कर दादी के गले लग गया….

रास्ते में आइसक्रीम लेकर आते वक्त अंश ने पूछा,“ दादी हिन्दी बोलना अच्छा है फिर स्कूल में हमें बोलने क्यों नहीं देते… जो हिन्दी में बात करते दूसरे उसपर हँसते हैं इसलिए मैं मम्मा के साथ जाना चाहता था नहीं तो सब आपका मज़ाक़ बनाएँगे… पर आपने तो कमाल कर दिया टीचर भी आपकी तारीफ़ करने लगी फिर तो मैं भी ख़ुश हो गया….।” कह दादी के गले लग गया 

सुमन जी अंश को प्यार ज़रूर कर रही थी पर मन में यही चल रहा था क्या आने वाले समय में हिन्दी की महत्ता कम ना हो जाए… जिस भाषा की ख़ास बात ये है कि इसमें भाव व्यक्त करना आसान है बच्चे उनसे दूर हो रहे हैं…. अंग्रेज़ी पढ़े और भी भाषाओं को पढ़ें समझे पर अपनी हिन्दी से बेरुख़ी सही नहीं है….. ज़रूरत है इसे समझने की और बच्चों पर इसको लेकर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को दूर करने की … शायद अब अंश के मन से हिन्दी को लेकर हुई दुविधा कम हो गई हो पर आगे…. अब उनको ही समझना होगा ।

सोचते सोचते घर आ गया….

शाम में जब राशि घर आई अंश ने बताया टीचर दादी की तारीफ़ कर रही थी… मम्मा हिन्दी बोलना ख़राब नहीं होता वो तो हमारे लिए खास होता है… मैं गलत था मम्मा… मुझे ऐसे नहीं बोलना चाहिए था… अब मैं कभी ऐसे नहीं करूँगा…. अब जब आपको वक़्त नहीं होगा मैं दादी के साथ चला जाऊँगा ।”

राशि सुमन जी की तरफ़ देख मुस्कुराते हुए बोली,“ मैंने कहा था ना आपकी दादी की सब तारीफ़ करेंगे… दादी हिन्दी में बोलती ज़रूर है बेटा पर दादी को आता सब कुछ है… भाषा कोई भी हो जिसमें हम अपनी बात पूरे आत्मविश्वास के साथ कह पाए हमें उसी भाषा में बात करना चाहिए… जैसे आप स्कूल में अंग्रेज़ी में पूरे आत्मविश्वास के साथ बात करते हो और घर पर दादी के साथ हिन्दी में…।” 


दोस्तों भाषा कोई भी हो जिसको आप सहजता से बोल पाए… जिसमें बोलते वक्त हिचक ना हो उसमें बात करना आसान होता है.. भाषा की जानकारी होनी चाहिए पर अपनी हिन्दी भाषा का प्रयोग करते वक्त गर्व करना चाहिए… हिन्दुस्तान की भाषा है जन जन की समझ में और बोली में आनी चाहिए।


धन्यवाद 



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