मेरी प्रेम कहानी
मेरी प्रेम कहानी
यह बात उस समय की है जब मैं आठवीं कक्षा में पढ़ता था।
उस समय गर्मियों की छुट्टियां आरंभ हो चुकी थी और मैं अपने परिवार के साथ गांव घूमने गया था गांव में जाते ही सबसे पहले मैं अपने परिवार जनों से दादा दादी चाचा चाची से मिला उन को प्रणाम किया और उसके बाद मैं अपने खेत खलियान का हाल जाने के लिए उनके पास चला गया क्योंकि मैं बचपन से ही अपने खेतों से बहुत ही प्यार करता था और अपनी मिट्टी से बहुत ही जुड़ा हुआ था।
वहां से आते वक्त मेरी नजर एक लड़की पर पड़ी जो दिखने में सुंदर और मन को मोह लेने वाली मोहिनी की तरह थी मैं उसे देखता ही रह गया उसके रेशमी बाल काली काली आंखें गुलाबी होठों ने मुझे मोहित कर दिया था और शायद उसी वक्त उसे अपना दिल दे बैठे मुझे यह तो नहीं पता कि मोहब्बत किसे कहते हैं पर उस लड़की को देखने के बाद मुझे यह सब पता चल गया कि मोहब्बत क्या होती है।
उस दिन रात को मैं सोया नहीं सारी रात में उसी के बारे में सोचता रहा और सुबह होते ही मैं रोज उसे देखने के लिए उसी जगह पर जाया करता जाओ वहीं पहली बार देखी थी और खड़े होकर घंटों से निहारता रहता एक दिन मैंने हिम्मत करके अपने दिल की बात उससे बोल ही दी और फलक से चेहरे के साथ मेरे सामने खड़ी की खड़ी रह गई उसने कुछ नहीं बोला मुझे समझ आ गया था उसके दिल में मेरे लिए मेरे लिए कोई प्यार नहीं है शायद वह तो मुझे जानते भी नहीं थे।
जब क्यों मेरे गांव की लड़की थी उसके बाद मैं आपसे रोज खत लिखा करता एक दिन उसके खत का जवाब आया खत में लिखा था कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती मेरा पीछा छोड़ दो तुम्हें मुझ से अच्छी लड़की मिल जाएगी कहां तुम शहर में रहने वाले सोने के गुड्डे और मैं गांव में रहने वाली मिट्टी की गुड़िया हम दोनों का मिलन कभी नहीं हो सकता तुम मुझे भूल जाओ| पर मैं भी ठहरा एक आशिक इनका पीछा ना छोड़ा।
मोसे खत लिखता रहा खत लिखता रहा और एक दिन उसने मुझे हां बोल ही दिया उस दिन मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था| उसके बाद हम रोज कहीं ना कहीं मिला करते कुछ दिन बाद वह घड़ी आई जब मुझे गांव से वापस शहर आना था उस दिन में खूब फूट-फूट के रोई और मैं भी दुखी था और क्या करता है सच्चाई को झूठ लायक नहीं जा सकता ना आखिर एक न एक दिन मुझे वापिस शहर ही आना था।
शहर आने के बाद हमारी रोज फोन पर बात हुआ करती थी ऐसे करते-करते हमने 6 महीने बिता दिए उसके बाद एक दिन उसका फोन आता है रितु की आवाज से मुझे लगता है कि शायद कुछ गड़बड़ है और ऐसा ही हुआ उसने कहा कि मैं तुम्हारे साथ कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती। मैं तुमसे नफरत करती हूं मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई थी मैं हिलसा गया था उसके बाद मैंने करीब महीने भर तक उसके गम में दिन काटे उसके बाद हमारी कभी बात नहीं गई वरना उस दिन के बाद मैं वापस गांव गया।
