मेरी फ्रॉक
मेरी फ्रॉक


"मेरी फ्रॉक कहां है, फिर से गायब हो गई, मेरी सबसे प्यारी फ्रॉक है, वह मेरी ग्रीन कलर की फ्रॉक!" सारा घर चिल्ला चिल्ला के राधिका ने सिर पर उठा रखा था। उसे उसकी पसंदीदा फ्रॉक नहीं मिल रही थी।"अरे वही कहीं रखी होगी ,कहां जाएगी घर से कोई चीज ,"मां ने कहा।
"मैंने सब जगह देख लिया ,कहीं नहीं मिल रही। हमेशा जब देखो तब यहां से गायब हो जाती है।आज तो मुझे वही पहन के जाना था।"
"चल ,मैं देखती हूं, तेरे साथ ,मिल ही जाएगी कहीं ना कहीं।"मां उठी और अलमारीऔर बक्सों में उसके साथ उसकी फ्रॉक खोजने लगी।पर फ्रॉक वहां होती तब मिलती ना।
मायूस होकर राधिका ने दूसरी फ्रॉक निकाली और पहन कर अपनी सहेली के साथ ट्यूशन पढ़ने चली गई।"ले मिल गई तेरी फ्रॉक!" "मिल गई मेरी फ्रॉक,! कहां थी ?"
"अब कहां क्या बोलूं ! मिल गई ना? अब तू रख ले इसको।"मां ने कहा।
चलो मिल तो गई थी ,राधिका इसी बात से खुश थी।
एक हफ्ता बीत गया इस बात को।आज राधिका को अपनी सहेली के साथ उसके घर जाना था। उस दिन मन बनाया था के अपनी पसंदीदा फ्रॉक पहन कर ही जाएगी। पर यह क्या !अलमारी में नहीं थी!!
" जब भी मुझे चाहिए होती है, मिलती क्यों नहीं !!"कहते कहते राधिका ऊपर वाले कमरे में ढूंढते हुए चली गई। कमरा खोला, हैरान रह गई ,सामने उसका छोटा भाई खड़ा था ,7 साल का राहुल उसकी फ्रॉक पहने हुए, वह बहुत खुश था, दोनों हाथों से थामे हुए भी था। राधिका को कुछ समझ नहीं आया, यह क्या हो रहा है।उसने मां को आवाज दी।राहुल सहम गया बहन को सामने देखकर। मां दौड़ के ऊपर आई ,थोड़ी देर तो मां को भी समझ नहीं आया ,फिर प्यार से राहुल को पास बुलाकर उन्होंने पूछा," अरे !यह तू हमेशा दीदी की फ्रॉक लेकर क्यों गायब कर देता है?" राहुल ने कुछ जवाब नहीं दिया।राधिका थोड़े गुस्से में थी।जवाब उसे भी चाहिए था। फिर थोड़ा शांति से उसने बोला," राहुल तू तो लड़का है ना !तूने मेरी फ्रॉक क्यूं पहनी?"
धीरे से अंगूठे से फर्श को खुरचते हुए राहुल ने बोला," दीदी मेरे साथ कभी नहीं बैठती ना, हमेशा अपनी सहेली के साथ चली जाती है। मुझे उनकी फ्रॉक में से उनकी खुशबू आती है। लगता है ,वह मेरे साथ भी खेल रही हैं।"
राधिका अब अवाक खड़ी थी।समझा ही नहीं कि उसके छोटे भाई को उसके प्यार की कमी कितनी खलती थी।कुछ नहीं समझ आया। उसने खींच कर राहुल को गले लगा लिया और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे।
"अब मैं तेरे साथ भी समय बिताऊंगी।हम दोनों रोज बैठ कर कहानी की किताब पढेंगे। "सच्ची दीदी ,"राहुल ने पुलक के कहा।
' हां सच्ची मुच्ची !!,लेकिन एक शर्त है, फिर तू मेरी फ्रॉक मत पहनना।"
राहुल ने तुरंत कान पकड़ के गर्दन हिला दी।
और दोनों भाई-बहन साथ-साथ ज़ोर से हंस पड़े।
सच है कभी कभी बच्चों के कोमल मन में क्या चल रहा होता है हूं समझ ही नहीं पाते। नन्हा राहुल अपनी दीदी से ना मिलने वाले प्यार को उसके कपड़ों में खोज लेता था।