मेरी जीवन की परीक्षा
मेरी जीवन की परीक्षा




इतनी भयंकर गर्मी के बाद बारिश की छोटी छोटी बूँदें बेचैन मन को आश्वस्ति सी दे रही थीं।
यद्यपि सुनंदा जानती है कि इसके बाद चिपचिपे पसीने का एक नया दौर शुरू होगा पर उससे क्या ? जब बादलों और सोंधी हवा से भरे ये पल मन को सुकून दे रहे हैं तो उसका आनंद क्यों नहीं उठा लिया जाय ? तो क्या यही, सिर्फ आज में जीने की आदत ने सुनंदा को कुछ यूँ छला है कि समय रेत की तरह ऊँगलियों के बीच से निकल गया ? वो लाड़ दुलार भरा बचपन, स्कूल - काॅलेज के अलमस्त दिन और बहुत कुछ बनने के वे ढ़ेर सारे सपने .... इन्जीनियरिंग करके नासा में नौकरी भी करनी थी, भरतनाट्यम का पूर्ण प्रशिक्षण भी लेना था।
छुट्टी में ड्रेस डिजाइन भी सीखनी थी और जाने कितने रोमांचक स्पोर्ट्स भी सीखने थे। मानों सामने एक असीमित आकाश हो और उसको मुठ्ठी में बंद कर लेने की क्षमता भी, पर ऐसा क्यों हुआ धूमकेतु की तरह उतर,ओर वो उन दिनों की बात है जब सुनंदा का स्कूल ली पढ़ाई पूरी हो गई थी ! और उसका आज 12th का रिज़ल्ट था ! वो बहुत परेशान थी ! और रो रो कर भगवान से पास करने को बोल रही थी !
कोमल :( उसकी छोटी बहन) उसका रिजल्ट लेकर आती है उसे झूठ बोलती की वो फैल हो गयी है तो फिर क्या था बस....